एई समय : तृणमूल के संगठनात्मक जिला अध्यक्ष पद में बदलाव के बाद अब ब्लॉक स्तर के नेतृत्व में बदलाव चल रहा है। इस संगठनात्मक बदलाव के बीच ही गुरुवार को अचानक तृणमूल के तीन शिक्षक संगठनों की राज्य और जिला कमेटियों को भंग कर दिया गया। बताया जाता है कि त्योहार का मौसम खत्म होने के बाद इन तीनों संगठनों की राज्य और जिला कमेटियों के सदस्यों के नाम घोषित किए जाएंगे।
इन तीन शिक्षक संगठनों में से प्रोफेसरों के संगठन वेबकूपा के अध्यक्ष पद पर खुद राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु थे। वह तृणमूल की शिक्षा सेल के चेयरमैन भी हैं। वेबकूपा के अलावा पश्चिम बंगाल तृणमूल माध्यमिक शिक्षक समिति और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षक समिति की सभी कमेटियों को भंग कर दिया गया है। माध्यमिक शिक्षक समिति के अध्यक्ष पद पर बिजन सरकार और प्राथमिक शिक्षक समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी पलाश साधुखा के पास थी।
तृणमूल के एक्स हैंडल पर गुरुवार को किए गये एक पोस्ट में कहा गया है कि संगठनात्मक पुनर्गठन के लिए वेबकूपा, माध्यमिक शिक्षक समिति, प्राथमिक शिक्षक समिति की राज्य और जिला कमेटियां भंग कर दी गई हैं। जिन नए लोगों को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी उनके नामों की घोषणा त्योहार (दुर्गा पूजा) के बाद की जाएगी।
इन तीन संगठनों में से ब्रात्य बसु के हाथ में रहा वेबकूपा एक हाई प्रोफाइल संगठन है। हालांकि तृणमूल नेतृत्व के इस बदलाव के फैसले पर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। इससे पहले लंबे समय तक वेबकूपा के अध्यक्ष पद पर कृष्णकली बसु थी, जिनका कुछ हफ्ते पहले ही निधन हो गया।
पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद ब्रात्य को तृणमूल की शिक्षा सेल के चेयरमैन की जिम्मेदारी मिली थी। इसी साल ब्रात्य बसु ने वेबकूपा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। यह जिम्मेदारी मिलने के बाद उन्होंने जिलों में जा-जाकर वेबकूपा की बैठकें की थीं। इस साल 7 फरवरी को ब्रात्य ने वेबकूपा की नई राज्य कमेटी के सदस्यों के नाम की घोषणा भी की थी। पिछले साल, 2024 के लोकसभा चुनाव के समय दमदम केंद्र के तृणमूल उम्मीदवार सौगत रॉय के समर्थन में शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों को लेकर एक ब्रात्य बसु ने एक सभा की थी।
शिक्षा मंत्री के हाथ में रहे वेबकूपा की सभी कमेटियों सहित तीन शिक्षक संगठनों की कमेटियां क्यों भंग की गईं - इसको लेकर तृणमूल के अंदर सुगबुगाहट तेज हो गयी है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि तृणमूल के संगठनात्मक जिला अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक स्तर पर नेतृत्व में बदलाव के लिए उनके प्रदर्शन को ही मुख्य मापदंड बनाया गया है।
बताया जाता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जिन-जिन ब्लॉकों में तृणमूल पीछे थी, ऐसे कई ब्लॉकों के अध्यक्ष बदल दिए गए हैं। तृणमूल के ये तीन शिक्षक संगठन क्या अपेक्षित लक्ष्य पूरा करने में सक्षम नहीं हो रहे थे? कहीं कोई कमी रह गयी थी? अब ऐसे सवाल भी पार्टी के अंदर उठ रहे हैं। तृणमूल के एक महत्वपूर्ण शाखा संगठन के प्रमुख नेता का कहना है कि नेतृत्व का यह फैसला काफी संकेतात्मक है। अब देखने वाली बात है, शिक्षा सेल के नेतृत्व में भी कोई बदलाव होता है अथवा नहीं।