सोमवार (8 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में डीए (DA) मामले की सुनवाई पूरी हो गयी। हालांकि न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्र की खंडपीठ ने अभी तक अपना फैसला नहीं सुनाया है। अगर किसी व्यक्ति को अपना कोई बयान दर्ज करवाना है, तो उसे लिखीत रूप से सुप्रीम कोर्ट में जमा करवा सकता है। बता दें, राज्य सरकार (West Bengal) को पहले ही 25 प्रतिशत डीए दे देने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। इसके लिए कोर्ट ने 6 सप्ताह का समय भी दिया था।
समयसीमा खत्म होने के बावजूद राज्य सरकार कर्मचारियों को डीए नहीं दे पायी है। राज्य सरकार ने अदालत से 6 महीने के अतिरिक्त समय की मांग की है। इस आवेदन के आधार पर ही गत 4 अगस्त से 7 अगस्त तक प्रतिदिन ही सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। इसके बाद 12 अगस्त को होने वाली सुनवाई को कुछ कारणवश टाल देना पड़ा था। राज्य के सरकारी कर्मचारियों को भी केंद्रीय कर्मियों जितना ही डीए देना होगा, इस मांग को सामने रखते हुए ही इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी।
पहले स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राईव्यूनल, फिर कोलकाता हाई कोर्ट होकर अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। वर्ष 2022 में कोलकाता हाईकोर्ट ने अपना फैसला सरकारी कर्मचारियों के पक्ष में सुनाया था। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा था कि डीए सभी सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है।
लेकिन हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार से कर्मचारियों का बकाया 25 प्रतिशत डीए दे देने का आदेश दिया था लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की थी।
अपने तर्क में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में डीए के बाबत कोई आवंटन नहीं था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से मामले की फिर से सुनवाई का आवेदन किया गया था। हालांकि अब मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अभी तक अपना फैसला नहीं सुनाया है, उसे सुरक्षित रखा है।