नेपाल से अक्सर कोलकाता के कुम्हार टोली में शांति के प्रतीक भगवान बुद्ध की मूर्तियां बनाने का ऑर्डर आता रहता था। इन मूर्तियों को नेपाल (Nepal) के विभिन्न शहरों में बनने वाले पगोडा में स्थापित किया जाता था। गत जुलाई माह में कोलकाता के गिरीश पार्क इलाके के डोमपाड़ा में रहने वाले मूर्तिकार सजल पात्र के पास भी ऐसा ही एक ऑर्डर आया था।
लेकिन नेपाल में भड़की हिंसा और जेन ज़ी क्रांति के बाद अब मूर्तिकार के माथे पर चिंता की रेखाएं स्पष्ट नजर आ रही हैं। मूर्ति का निर्माण तो समय से पहले ही पूरा हो चुका है लेकिन क्या मूर्ति की डिलिवरी संभव हो सकेगी? क्या मूर्ति को ले जाने के लिए नेपाल से कोई कोलकाता आएगा?
18 फूट ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतीमा का ऑर्डर
गत जुलाई माह में 4 नेपाली नागरिकों ने सजल पात्र को 18 फूट ऊंची भगवान बुद्ध की एक प्रतिमा बनाने का ऑर्डर दिया था। तय किया गया था कि 10 सितंबर (बुधवार) को वे मूर्ति को लेकर जाएंगे। इसी आधार पर मूर्तिकार ने दिन-रात मेहनत कर भगवान बुद्ध की मूर्ति को आकार से लेकर रंग-रोगन का काम भी पूरा कर लिया।
लेकिन वर्तमान में नेपाल की जो स्थिति है, उसे देखकर मूर्तिकार सजल पात्र के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। मीडिया से बात करते हुए सजल पात्र ने बताया कि सुबह से ही दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी कि आज किसी भी स्थिति में मूर्ति बनाने का काम पूरा करना होगा। लेकिन टीवी चलाते ही उसमें जो खबरें देखी, उन्हें देखकर अब कुछ समझ ही नहीं आ रहा है।
नहीं हुई मूर्ति की डिलीवरी तो झेलना होगा आर्थिक नुकसान
बकौल सजल पात्र, इस मूर्ति की कीमत ₹45 हजार है। उनका कहना है कि पड़ोसी देश नेपाल जल्द से जल्द शांत हो और मूर्ति का ऑर्डर देने वाले लोग आकर इस मूर्ति को लेकर जाएं। क्योंकि हमारे यहां इस मूर्ति को रखना असंभव है। साथ ही मूर्तिकार का यह भी कहना है कि अगर दुर्गा पूजा से पहले इस मूर्ति की पूरी कीमत नहीं मिलती है, तो उन्हें आर्थिक परेशानी तक झेलनी पड़ सकती है।