12 जून 2025 को देश की सबसे भयानक विमान दुर्घटनाओं में से एक का गवाह अहमदाबाद रहा है। अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेक-ऑफ के तुरंत बाद एयर इंडिया की ड्रीमलाइनर क्रैश हो गयी थी, जिसकी वजह से ढाई सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
18 सितंबर को कोलकाता उतरने आ रही इंडिगो की उड़ान के पास अचानक सेना का एक हेलीकॉप्टर आ गया था। इंडिगो के उस विमान में सौ से अधिक यात्री सवार थे। अंतिम क्षणों में कोलकाता एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) ने उस हेलीकॉप्टर की उपस्थिति समझकर इंडिगो के पायलट को अपने निर्धारित मार्ग से हटने का निर्देश दिया था।
विमान परिवहन के विशेषज्ञों का दावा है कि अगर उस दिन इंडिगो सही समय पर अपने मार्ग से नहीं हटती तो एक बड़ी दुर्घटना की संभावना थी। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
सेना के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गत 15 से 17 सितंबर तक वायुसेना, नौसेना और थलसेना की संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन कोलकाता में ही किया गया था। जिसमें शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित तीनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारी कोलकाता आए थे।
उस कॉन्फ्रेंस के पहले और बाद में बहुत से हेलीकॉप्टरों का आवागमन हुआ था। बैरकपुर से भी उन दिनों कई हेलीकॉप्टर उड़े थे। बताया जाता है कि उस दिन जो हेलीकॉप्टर इंडिगो की उड़ान के रास्ते में आ गया था, वह भी बैरकपुर से ही उड़ा था।
एटीसी के अधिकारी बताते हैं कि पश्चिम से कोलकाता आने वाली विमान को अगर बीराटी की तरफ से उतरना हो, तो कई बार बैरकपुर के ऊपर से आना पड़ता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उस दिन भी हैदराबाद से आ रही इंडिगो की 6E307 उड़ान बैरकपुर के आसमान के आसपास से आ रही थी।
दोपहर करीब पौने दो बजे अचानक देखा गया कि उस विमान के 'अप्रोच पाथ' (जिस रास्ते से विमान उतरता है) पर एक 'ऑब्जेक्ट' (हेलीकॉप्टर) आ गया है। तुरंत इंडिगो के पायलट को उस 'अप्रोच पाथ' को छोड़कर बाईं ओर मुड़ने को कहा गया। बाद में घूमकर विमान कोलकाता में उतरा।
विमानन मंत्रालय के सूत्र ने बताया है कि अन्य सैन्य अड्डों की तरह ही बैरकपुर भी 'प्रतिबंधित क्षेत्र' है। सभी नागरिक विमान इस प्रतिबंधित क्षेत्र से बचकर जाते हैं। सूत्र का दावा है कि बैरकपुर से लड़ाकू जेट का कोई आवागमन नहीं होता। हालांकि, वहां से कभी-कभी वायुसेना के हेलीकॉप्टर जरूर उड़ते हैं।
नियमानुसार, बैरकपुर से टेक-ऑफ करके जमीन से चार हजार फुट की ऊंचाई तक वायुसेना के हेलीकॉप्टर का उड़ना निर्धारित है। उस स्थिति में कोलकाता के एटीसी के साथ उनका समन्वय की जरूरत नहीं होती। लेकिन, सेना का हेलीकॉप्टर चार हजार फुट से ऊपर जाना चाहे तो उस समन्वय की जरूरत होती है। तब उस हेलीकॉप्टर की गतिविधि के बारे में कोलकाता के एटीसी को जानकारी रहती है। इसके आधार पर उस समय वे यात्री विमान की गतिविधि को नियंत्रित करते हैं।
उसी तरह से 'प्रतिबंधित क्षेत्र' में किसी यात्री विमान को चार हजार फुट से नीचे नहीं उतरना चाहिए। ऐसा होने पर भी उसे नियमों का उल्लंघन माना जाता है। इस परिस्थिति में 18 सितंबर को वह समन्वय हुआ था या नहीं, इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि उस दिन क्या सेना का हेलीकॉप्टर चार हजार फुट की सीमा पार करके ऊपर आ गया था या फिर इंडिगो की उड़ान चार हजार फुट के दायरे से नीचे आ गई थी।
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि अगर किसी यात्री विमान के पास कोई अन्य विमान या ड्रोन आ जाता है तो उसका संकेत यात्री विमान को मिल जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में हेलीकॉप्टर के पास आने पर इंडिगो के पायलट को भी कॉकपिट में संकेत मिल जाता। हालांकि, उससे पहले ही उन्हें एटीसी ने उन्हें सतर्क करके रास्ते से घुमा दिया था। इस बारे में अनुभवी पायलटों का कहना है कि अप्रोच-पाथ पर ऐसी घटना बहुत खतरनाक होती है। उस समय बहुत ध्यान देना पड़ता है। उसमें थोड़ी सी भी चूक बड़ी विपत्ति का कारण बन सकती है।