एई समय : मौसम विभाग ने बारिश का पूर्वानुमान तो पहले ही जारी कर दिया था। बारिश हुई भी लेकिन ऐसी बारिश जिसके बारे में शायद किसी ने सोचा भी नहीं था। मौसम विभाग ने जो चेतावनी जारी की थी, उसमें बारिश भयावहता के बारे में कोई संकेत नहीं था। कोलकाता में दुर्गा पूजा के दौरान बारिश पहले भी कई बार हुई है। पर पिछले कुछ दशकों में त्योहारों से ठीक पहले वाला समय इस तरह कभी नहीं बीता है।
मौसम विभाग ने एक बार फिर से बारिश की चेतावनी जारी की है। अगले बुधवार यानी नवमी से भी एक नए निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की वजह से भारी बारिश का खतरा मंडरा रहा है। सोमवार को बादल फटने से हुई अतिभारी बारिश से लगभग पूरा शहर जलमग्न हो गया है। महालया के बाद से सभी बड़े पूजा पंडालों को दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया है। हालांकि अतिभारी बारिश के बावजूद ज्यादातर पूजा पंडाल सुरक्षित हैं, लेकिन आस-पास के क्षेत्र पानी से भरे हुए हैं। सड़कें भी जलमग्न हैं।
बागुईआटी के अर्जुनपुर में 'अमरा सबाई' इस साल की सबसे बड़ी दुर्गा पूजाओं में से एक है। पंडाल पर भीड़ पहले ही जुटनी शुरू हो गई थी। आयोजकों की तरफ से मौसमी नस्कर ने कहा कि हमारे पंडाल को कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। बिजली और रोशनी भी ठीक है। हालांकि, बारिश के कारण सड़क पर पानी भर गया है।
वहीं देशप्रिय पार्क की पूजा कमेटी के सदस्य सुदीप्त कुमार थोड़ी चिंता में हैं। उनका कहना है कि मैंने पहले भी दुर्गा पूजा के दौरान बारिश देखी है। लेकिन ऐसी बारिश मैंने पहले कभी नहीं देखी। पंडाल में पानी भले ही न हो। लेकिन मैदान में पानी भर गया है। थोड़ा काम बचा था, वह काम मंगलवार को शुरू नहीं हो सका। बिजली का कनेक्शन काट दिया गया है। पता नहीं इसके बाद क्या होगा।
कोलकाता के चोरबागान सार्वजनिक के जयंत बनर्जी भी इसी सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बिजली के सभी डीपी बॉक्स पानी में डूब गए हैं। ऐसे में काम कैसे होगा? हालांकि उन्होंने कहा कि मैदानों में पानी थोड़ा कम हो गया है। हमारा काम लगभग पूरा हो गया था। 40 कारीगर घर भी चले गए हैं। अब हम उन्हें वापस कैसे लाएँगे? जो भी नुकसान हुआ है, वह हो चुका है।
मुदियाली पार्क के मनोज साव ने कहा कि हमारे पंडाल को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन सामने का गेट गिर गया है। काम भी रुका हुआ है। उद्घाटन भी स्थगित कर दिया गया है। राजडांगा नव उदय संघ की पूजा दक्षिण कोलकाता के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। आयोजक सुशांत घोष ने कहा कि बारिश का पूर्वानुमान था और उसी के आधार पर तैयारियां की गई थीं। इसलिए पंडाल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन सड़कों पर हर तरफ पानी भरा है। अगर दर्शनार्थी नहीं आएंगे तो हमें बहुत दुख होगा।
चेतला अग्रणी के आयोजक समीर घोष ने बताया कि बारिश के साथ गंगा में आए ज्वार का पानी भी सड़क पर जमा हो गया था। मंगलवार की शाम तक वह पानी काफी कम हो गया। पंडाल को कोई नुकसान नहीं हुआ।' त्रिधारा सम्मिलनी की पूजा कमेटी की सदस्य गार्गी मुखर्जी ने कहा कि हमारा पंडाल सड़क से ऊपर लगाया गया था। परिणामस्वरूप, बारिश में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
इस वर्ष टाला प्रत्यय की दुर्गा पूजा का 100वां वर्ष मनाया जा रहा है। उनकी थीम 'बीज आंगन' है। पूजा पंडाल का उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कर चुकी हैं। हालांकि, इसे 25 सितंबर को शाम 6 बजे दर्शनार्थियों के लिए खोला जाना था। आयोजकों का कहना है कि उन्हें पहले से ही बारिश का डर था। बाहर का कुछ हिस्सा गीला हो गया है। लेकिन इसे सुखाने की व्यवस्था की गई है।