50 दिनों से कोमा और वेटिंलेशन पर जी रहे युवक को एमआर बांगुड़ अस्पताल में मिला नया जीवन

एमआर बांगुड़ अस्पताल के सीसीयू में 37 वर्षीय युवक को भर्ती किया गया था, जिसके बाद लगभग पिछले 50 दिनों से उसका अस्थायी ठिकाना सीसीयू ही था। लेकिन यहां उसे नया जीवन मिला।

By Moumita Bhattacharya

Sep 22, 2025 19:25 IST

गाड़ी चलाते समय ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुए 37 वर्षीय युवक को कोलकाता के एमआर बांगुड़ अस्पताल में नया जीवन मिला। बताया जाता है कि उक्त युवक का बर्दवान मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी करवाया गया था लेकिन तब वह कोमा में चला गया था। युवक का नाम समर दास बताया जाता है जो आसनसोल के रानीगंज का निवासी है। सर्जरी के बाद धीरे-धीरे उसके दिमाग और श्वसन प्रणाली को नियंत्रण करने वाले अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।

इसके साथ ही 'एक्यूट रेसपिरेटरी डिस्ट्रेस सिन्ड्रोम' की शुरुआत भी हो गयी थी। कुछ समय बाद युवक के लिवर और किडनी ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। इसलिए पूरी तरह से वेंटिलेशन पर ही युवक को जिंदा रखने की कोशिश की जा रही थी।

मिला नया जीवन

गत 20 जून को उसे एमआर बांगुड़ अस्पताल के सीसीयू में भर्ती किया गया था, जिसके बाद लगभग पिछले 50 दिनों से उसका अस्थायी ठिकाना सीसीयू का बेड नंबर 703 ही हो गया था। एक तरफ एंटिबायोटिक दवाईयां, सूईंयां तो दूसरी तरफ चेस्ट फिजियोथेरेपी के माध्यम से उसका इलाज किया जा रहा था।

डॉक्टरों की एक टीम लगातार उसकी देखरेख के लिए तैनात रहती थी जिसमें डॉ. वाई चौहान, डॉ. अनिर्वाण भट्टाचार्य और सोहम सामंत शामिल थे। लगातार इलाज और डॉक्टरों के प्रयास के साथ-साथ पत्नी अपर्णा दास की दुआओं ने अपना असर दिखाना शुरू किया और दिमाग ने धीरे-धीरे काम करना शुरू कर दिया था।

घर का एकलौता कमाने वाला सदस्य

मीडिया से बात करते हुए डॉक्टरों ने बताया कि दिमाग का बायां हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। इसलिए उनकी याददास्त कमजोर हो गयी है। हालांकि अब वह खुद से खा सकते हैं और सांस लेने में भी कोई परेशानी नहीं होती। लगातार फिजियोथेरेपी के बाद उनकी हालत बेहतर होने के आसार हैं। अपर्णा दास का कहना है कि हमारी 6 साल की एक बेटी है। वह (समर दास) घर में कमाने वाले इकलौते सदस्य हैं। पता नहीं कब पूरी तरह से ठीक होंगे और काम पर वापस लौट सकेंगे।

बता दें, पिछले लगभग 50 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़कर उसे जीतने के बाद गत बुधवार को उन्हें अस्पताल से छोड़ दिया गया है और वह अपने परिवार के साथ घर जा चुके हैं।

Prev Article
छात्रा की मौत के बाद जेयू प्रशासन हुई सख्त, नशीला पदार्थ लेकर किया प्रवेश तो मिलेगी कड़ी सजा
Next Article
बंगाल में बारिश कब कम होगी? क्या कह रहा है मौसम विभाग ?

Articles you may like: