ढाका: बांग्लादेश में निष्कासित प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज़्ज़मान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के फैसले से पहले राजधानी ढाका में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। जुलाई–अगस्त 2025 में छात्र आंदोलन के बाद हुई अशांति के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप इन तीनों पर लगा है। फैसले से ठीक पहले ट्रिब्यूनल परिसर और आसपास के इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। माना जा रहा है कि यह निर्णय ICT के हालिया इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक होगा।
जस्टिस एमडी गोलाम मर्तुजा माजुमदर की अध्यक्षता में ट्रिब्यूनल-1 का तीन सदस्यीय पीठ आज कुछ देर में इस बहुप्रतीक्षित फैसले की घोषणा करेगा। 23 अक्टूबर को दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें पूरी हुईं, जिसमें मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम और अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज़्ज़मान ने अभियोजन पक्ष की अंतिम दलीलें पेश कीं।
राज्य द्वारा नियुक्त रक्षा वकील एमडी आमिर हुसैन ने आरोपियों की ओर से दलीलें रखीं। इससे पहले 13 नवंबर को फैसला सुनाया जाना था, जिसे बाद में 17 नवंबर के लिए स्थगित किया गया। 22 अक्टूबर तक राज्य-नियुक्त बचाव पक्ष ने फरार अभियुक्तों शेख हसीना और असदुज़्ज़मान खान कमाल के साथ-साथ अदालत में मौजूद शाही गवाह पूर्व IGP चौधरी अब्दुल्ला अल–मामून के लिए भी दलीलें दीं। अभियोजन पक्ष ने तीनों के लिए अधिकतम सज़ा की मांग की है। रक्षा पक्ष ने तीन दिनों की दलीलों में ममून, दैनिक ‘अमर देश’ के संपादक महमूदुर रहमान और NCP संयोजक नाहिद इस्लाम समेत कई प्रमुख गवाहों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए अभियु्क्तों को बरी करने की मांग की।
10 जुलाई को मामले में नाटकीय मोड़ आ गया, जब पूर्व IGP ममून ने अदालत में स्वीकार किया कि जुलाई–अगस्त की अशांति के दौरान हुई हत्याओं और हिंसा के आरोप सही हैं। मैं दोषी हूँ और अदालत को पूरे सच तक पहुँचने में सहयोग करना चाहता हूँ। उसी दिन अदालत ने तीनों अभियुक्तों पर औपचारिक रूप से आरोप तय किए और रिहाई की याचिकाएँ खारिज कर दीं। अभियोजन पक्ष ने मानवता के खिलाफ अपराध के पाँच आरोप पेश किए हैं, जिन्हें 8,747 पृष्ठों के विस्तृत दस्तावेज़ी साक्ष्यों द्वारा समर्थित बताया गया है। इनमें संदर्भ सामग्री जब्त किए गए दस्तावेज़ और मृतकों की विस्तृत सूची शामिल है।