काबुल: अफगानिस्तान में मानवीय संकट और गहराता जा रहा है। ईरान और पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन, लंबे समय से जारी सूखे और पूर्वी व उत्तरी क्षेत्रों में आए शक्तिशाली भूकंपों की श्रृंखला के कारण हालात और गंभीर हो गए हैं। नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) ने यह चेतावनी दी है। टोलो न्यूज के अनुसार एनआरसी ने कहा कि विस्थापन, प्राकृतिक आपदाओं और आर्थिक दबावों के संयुक्त प्रभाव ने लाखों लोगों को और अधिक असुरक्षा की स्थिति में धकेल दिया है।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार संगठन का अनुमान है कि इस समय अफगानिस्तान की लगभग 36 प्रतिशत आबादी यानी करीब 1.74 करोड़ लोग, गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।एनआरसी ने कहा कि वर्तमान में 1.74 करोड़ लोग जो अफगानिस्तान की आबादी का लगभग 36 प्रतिशत हैं तीव्र खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं। कठोर सर्दी का मौसम नजदीक आते ही स्थिति दिन-ब-दिन और गंभीर होती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानवीय पीड़ा को और बढ़ने से रोकने के लिए तुरंत समर्थन बढ़ाने की जरूरत है। आर्थिक दबावों ने खासकर शहरी इलाकों में जीवन को और मुश्किल बना दिया है।
एक आर्थिक विश्लेषक ने कहा कि संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधार जरूरी हैं। टोलो न्यूज के अनुसार, अब्दुल ज़हूर मदबर ने कहा कि प्राकृतिक और मानव संसाधनों का प्रबंधन इस तरह किया जाना चाहिए कि लोगों की क्षमताओं और कौशल का विकास हो सके। काबुल के निवासियों ने बताया कि आय अस्थिर रहने, महंगाई बढ़ने और रोजगार के अवसर कम होने से मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं।
काबुल निवासी अहमद नवाब ने कहा कि ठंड बहुत है और हमारे पास पर्याप्त ईंधन नहीं है। मैं ईंधन खरीदने की क्षमता नहीं रखता। हमारे पास हीटर भी नहीं है। हम पानी को ड्रम में गर्म करते हैं और खुद को गर्म रखने के लिए कंबलों में सोते हैं। एक अन्य निवासी मोहम्मद बिलाल ने बुनियादी जरूरतों की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि लोग अब तेल, चावल या अन्य जरूरी खाद्य वस्तुएं खरीदने में सक्षम नहीं हैं। हर चीज की कीमत बहुत ज्यादा हो गई है।
कड़ी निगरानी की मांग करते हुए अब्दुल वकील ने कहा कि सरकार को हालात पर ध्यान देना चाहिए। इस स्थिति पर नजर रखना सरकार का कर्तव्य है। हमारी मांग है कि जरूरी चीजें सस्ती हों ताकि गरीब और जरूरतमंद लोग उन्हें हासिल कर सकें। इन चिंताओं के जवाब में अफगानिस्तान के अर्थ मंत्रालय ने कहा कि उसने खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए कई सहायता और विकास कार्यक्रम शुरू किए हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल रहमान हबीब ने बताया कि सरकार का ध्यान स्थायी समाधानों पर है। हमारी प्राथमिकता कृषि और पशुपालन क्षेत्रों के विकास, संसाधनों के बेहतर प्रबंधन, आर्थिक ढांचे के विस्तार और रोजगार के अवसर पैदा करने वाले दीर्घकालिक कार्यक्रमों पर है, ताकि कमजोर वर्गों को समर्थन दिया जा सके और गरीबी व खाद्य असुरक्षा को फैलने से रोका जा सके। इससे पहले इस वर्ष विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान में 95 लाख लोग गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि 2025 के अंत तक अपने जीवन रक्षक अभियानों को जारी रखने के लिए उसे तत्काल 65 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है।