कैदियों ने कभी सोचा ही नहीं था कि वे इस तरीके से समाज से फिर से जुड़ पायेंगे। इसलिए ये सारे कैदी बहुत उत्साह के साथ काम कर रहे हैं।लाखों करोड़ों खर्च कर किसी थीम पर की जा रही पूजा के इस दौर में यह कोशिश अनूठी मिसाल है।
दमदम, 19 सितंबर। दमदम केंद्रीय सुधारगृह की दीवार केवल सज़ा का प्रतीक नहीं है, इस बार यह दीवारें कला का कैनवस बन गयी हैं। गंभीर अपराधों में सजा काट रहे कैदी इस बार दुर्गापूजा का थीम-पंडाल बना रहे हैं। 'पाप के प्रायश्चित्त में कला का सहारा'— इसी सोच पर इस साल दमदम केंद्रीय सुधारगृह में दुर्गा पूजा मनाया जायेगा।
दमदम जेल के गेट के पास इसी थीम पर पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। हालांकि कोई पेशेवर कलाकार इस थीम पर काम नहीं कर रहा है। जेल में हत्या के मामले में सजा काट रहे कुछ कैदी पूजा पंडाल बना रहे हैं। इन कैदियों में किसी पर अपनी प्रेमिका की हत्या का आरोप है वहीं कुछ के खिलाफ पारिवारिक विवाद के चलते चाचा-भाई की हत्या का आरोप है। अब यही लोग दिन रात मिट्टी में सने रहकर पूजा मंडप बनाने में जुटे हुए हैं। इस बार के पूजा का थीम—जेल जीवन का विकास’ है।
इस विशेष थीम पर बने रहे पूजा मंडप में एक तरफ ब्रिटिश जमाने में कैदियों पर किये गये अत्याचार को उभारा जा रहा है, जैसे कि जेल की कोठरी मेंक्रांतिकारियों पर किया गया अत्याचार, फांसी का मंच बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ आधुनिक सुधार गृह की पाठशाला, पुस्तकालय, टेलरिंग यूनिट, रसोई का ढांचा तैयार कर दमदम सुधार गृह के विकास के दौर को पूजा में उभारने की कोशिश की जा रही है।
पूजा में दर्शक जेल की निगरानी कर रहे रक्षकों के सामने पंडाल में प्रवेश करेंगे। पंडाल की साज सज्जा से वो अपनी आँखों से जेल जीवन के अनदेखे दृश्यों को समझ सकेंगेे। इस थीम को लागू करने की मुख्य योजना जेल अधीक्षक सुप्रकाश राय की है। उन्होंने कहा कि आज जेल का मतलब अंधकार नहीं है। जेलों में सुधार के जरिए कैदियों की जिंदगी में रोशनी लाने का प्रयास किया जाता है। इस पूजा पंडाल में यही संदेश देने की कोशिश की जा रही है।
कैदियों ने जेल के अधिकारियों से कहा कि इस थीम पर काम करने में उन्हें गर्व महसूस हो रहा है। जेल में सजा काट रहे कैदी मां की पूजा करने के लिए नयी भूमिका निभा रहे हैं। कोई पूजा की वेदी बना रहा है, कोई चित्रों में कला का प्रभाव दिखा रहा है। जेल के एक अधिकारी ने बताया कि कैदियों ने कभी सोचा ही नहीं था कि वे इस तरीके से समाज से फिर से जुड़ पायेंगे। इसलिए ये सारे कैदी बहुत उत्साह के साथ काम कर रहे हैं।लाखों करोड़ों खर्च कर किसी थीम पर की जा रही पूजा के इस दौर में यह कोशिश अनूठी मिसाल है।
हाल ही में, दमदम केंद्रीय सुधार गृह के मैदान में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा की थी। उस सभा स्थल पर पड़े हुए बालू, ईंट औरस्टोनचिप इकट्ठा करके उसी से जेल के आसपास मंडप का ढांचा तैयार किया जा रहा है। लोहे, कपड़े, और बेकार पड़े हुए प्लाई से ढांचा बनाया जा रहा है। आवश्यक वस्तुएं केंद्रीय सुधार गृह के रिक्रिएशन सेंटर ने प्रदान की हैं। इसके साथ हीकैदियों द्वारा जेल में हाथ से काम करने के बदले में जो आय होती है, उस रकम को भी इस पूजा के लिए खर्च किया जा रहा है। केवल जेल में बंद लोग ही नहीं, बल्कि जेल विभाग के कर्मी और उनके परिवार के सदस्य भी सुधार गृह की पूजा के साथ समान रूप से जुड़े हुए हैं। पूजा के चार दिनों के दौरान जो सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, वह जेल में मुख्य रूप से जेल विभाग के परिवार के सदस्य ही करते हैं।
सामान्य लोगों के लिए इस थीम मंडप को पहली बार खोला जा रहा है। जेल की दीवार को पार करने के बाद दर्शक यह समझ सकेेंगे जेल की सलाखों के पीछे कोई कैदी कैसी जिंदगी बिताता है। ये सभी कैदी कला के स्पर्श से नई कहानियाँ रच रहे हैं। कारागार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आदमी गलती कर ही सकता है। हालांकि सुधार का मौका मिलने पर कई कैदी सही रास्ते पर भी चलने लगते हैं। उस बदलाव की तस्वीर इस मंडप में उभरती हुई नजर आ रही है। ' पाप से प्रायश्चित ' केसुधार के रास्ते की रूपरेखा सजायाफ्ता लोगों के काम से प्रस्तुत की जा रही है।
आखिर में यह पूजा इतिहास में दर्ज हो जायेगी— एक ऐसी दीवार की कहानीजो केवल रास्ता नहीं रोकती है बल्कि नई राहें भी खोलती है।