दमदम केंद्रीय सुधार गृह में पुलाव-मटन और व्यंजनों से पेट पूजा का इंतजाम

जेल अधिकारियों को यकीन है पूजा में खुशियां बांटने से कैदियों में फिर समाज से जुड़ने की उम्मीद जगेगी।

By श्यामगोपाल राय, Posted by: श्वेता सिंह

Sep 28, 2025 10:24 IST

दमदम। सप्तमी से दशमी तक सिर्फ पूजा पंडाल ही नहीं घूमा जाता है। पूजा में लोग अपनी पसंद के पकवान का भी स्वाद चखते हैं। रेस्टोरेंट में और घरों में अगर मनपसंद खाने की व्यवस्था हो सकती है तो जेल की दीवारों के अंदर ऐसा इंतजाम क्यों नहीं किया जा सकता है? सुधार गृह की चारदीवारी के भीतर भी पूजा की तैयारियां की गयी हैं। कैदियों ने मिलकर ही पंडाल बनाया है और दुर्गा पूजा को लेकर बड़े उत्साहित हैं। इसीलिए दमदम स्थित केंद्रीय सुधार गृह के कैदियों के लिए पूजा के चारों दिन विशेष मेनू का इंतजाम किया जा रहा है। पूजा में कैदी भी ढेर सारे पकवानों का स्वाद चख सकेंगे।

जेल अधिकारियों के अनुसार पूजा में इस तरह के आयोजन करने से न केवल कैदियों के चेहरों पर मुस्कान आती है बल्कि उनका मनोबल, आत्मविश्वास और समाज में लौटने की इच्छाशक्ति भी बढ़ती है। दमदम केंद्रीय सुधार गृह के अधीक्षक सुप्रकाश राय ने कहा कि दुर्गा पूजा का मतलब ही रोशनी, खुशी और सामाजिकता है। यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिए की गयी है कि यह रोशनी जेल के बाहर भी पहुंचे और कैदी पूजा के चार दिन अच्छे से बिता सकें।

इस बार दमदम जेल के कैदियों ने बेकार पड़े रहने वाले कप- प्लेट से थीम आधारित पूजा मंडप को सजाया है। हर बार की तरह इस बार भी पूजा धूमधाम से मनाई जाएगी। जेल विभाग की पहल पर कैदियों व जेल कर्मचारियों की सहज भागीदारी से पूजा के दिनों में एक विशेष मेनू तैयार किया गया है। इसका खर्च कौन उठा रहा है?

जेल विभाग के सूत्रों के अनुसार कैदी कुछ दिन अपने खाने के खर्च कटौती करते हैं। कुछ हफ्ते कैदी उन्हें आवंटित की गयी मछली नहीं खाते हैं। उस समय की आवंटित मछली पूजा के दिनों के लिए रखी जाती है। जेल प्रशासन द्वारा पूजा के दिन वो मछली आवंटित की जाती है। सप्तमी से दशमी तक पूजा के चारों दिन लगातार हर दिन एक विशेष मेनू होगा। मछली-मांस ही नहीं स्वादिष्ट मिठाइयों के साथ ही शाकाहारी लोगों के लिए भी अलग से व्यवस्था की गयी है।

सातवें दिन दोपहर में चावल, दाल, पत्तागोभी की सब्जी, उबले अंडे और चिकन परोसा जाएगा। शाम को दाल, चावल, आलू-झींगा या झींगा-आलू-पोस्त परोसा जाएगा। आठवें दिन सुबह के नाश्ते में लुची-छोला दाल होगी। दोपहर में मूंग दाल की खिचड़ी, मिक्स सब्ज़ियां, चटनी और पापड़। रात में वेज पुलाव, आलू दम और रसगुल्ला परोसा जाएगा। नौवें दिन सुबह के टिफिन में घुघनी और गाजा परोसा जाएगा।

दोपहर में कतला मछली का कालिया और धोका का दालना परोसा जाएगा। रात में रोटी और अंडा करी परोसी जाएगी। दसवें दिन सुबह के टिफिन में कैदियों को पराठा-आलू दम खिलाया जाएगा। दोपहर में मछली का सिर डालकर पत्तागोभी की सब्जी के साथ बकरे का मांस परोसा जाएगा। रात के खाने में अंडा-आलू करी और मिठाई होगी। जेल अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की पहल न केवल कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी है बल्कि इस तरह का आयोजन उनके पुनर्वास का मार्ग भी सुगम बनाती है।

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