आग में खो दिया परिवार, भाई-बहन की देखभाल कर रहे पड़ोसी

अपना परिवार खोकर अनाथ हुए तेरह साल का बादल और दस साल की सुमित्रा

By रूपक मजूमदार, Posted by: श्वेता सिंह

Sep 25, 2025 09:05 IST

वर्धमान। आग की एक घटना में दो बच्चों ने अपने परिवार को खो दिया। इन अनाथ बच्चों की देखभाल करने के लिए अब उनके पड़ोसी आगे आए हैं। वे इन बच्चों का ख्याल अपने बच्चों की तरह ही रख रहे हैं। अपने आप में यह घटना एक मिसाल है।

एक महीने पहले कृष्णपद मिस्त्री के बेटे ने घर में पेट्रोल से आग लगा दी थी। इस घटना में कृष्णपद और उनकी दूसरी पत्नी सुमित्रा और उनकी पहली पत्नी के बेटे बबलू की बाद में अस्पताल में मौत हो गई जिसने घर में आग लगाई थी। आग में अपने परिवार को खोकर बादल (13)और सुमित्रा मिस्त्री (10)अनाथ हो गए हैं।

एक महीने पहले हुई इस घटना का खौफ़ अभी भी पूरे मोहल्ले में कायम है। भाई-बहन के अस्पताल से घर लौटने के बाद उनकीदेखभाल कौन करेगा इस बारे में बातें होने लगीं। इसका हल निकालने के लिए खंडघोष थाने के ओसी अनूप डे ने मोहल्ले के वाशिंदों के साथ बैठकर बातचीत की। सभी से बात करते हुए उन्होंने मानवता की कुछ मिसालें भी दीं। इसके बाद बच्चों की मदद करने के लिए इलाके के स्कूल शिक्षक चंदन मंडल, पेशे से एक निजी कंपनी में ड्राइवर सुब्रत मंडल-बिस्वजीत मंडल, प्रतिमा साहा और सुमन मिस्त्री जैसे कुछ लोग सामने आए।

शुरुआती कुछ दिनों तक दोनों भाई-बहन पड़ोसियों के घर में रहने लगे।जले हुए घर की मरम्मत सबके मिले-जुले पैसों से हुई।रंगाई-पुताई समेत जले हुए बिजली के पुर्जों पर भी काम शुरू हुआ।थाने के ओसी खुद हर दिन सबका हिसाब रखते थे।अगर किसी कारणवश वो नहीं जा पाते थे तब खंडघोष थाने की पुलिस की गाड़ी नियमित रूप से उदयकृष्णपुर पश्चिमपाड़ा में आकर निगरानी रखती थी।पुलिस अधिकारी भाई-बहन के बारे में पता करते रहते। यह घटना खंडघोष थाना अंतर्गत उदयकृष्णपुर पश्चिमपारा की है।

पड़ोसी सुब्रत मंडल ने बताया कि वे अब भी रात में अपने घर में अकेले नहीं सो पाते। वे पड़ोस की एक बूढ़ी औरत के पास सोने चले जाते हैं। इस हादसे के बाद गांव के लोग खंडघोष थाने के ओसी के आभारी हैं। उन्होंने जिस तरह से आगे बढ़कर सहायता की है उसे शब्दों में जाहिर नहीं किया जा सकता है। इलाके के लोग उनके साथ हैं। इलाके के लोग उन बच्चों का अपने बच्चों की तरह ख्याल रख रहे हैं।

घटना के सदमे से उबरकर भाई-बहन अब स्कूल जाने लगे हैं। इस बार थाने के ओसी अनूप डे ने पूजा के लिए नए कपड़े, जूते और बाकी सारा सामान खरीदकर पहुंचा दिया है। हालांकि वह इस बारे में कुछ खास नहीं कहना चाहते। अनूप डे ने कहा कि एसपी साहब, एडिशनल एसपी या एसडीपीओ साहब से मैंने सीखा है कि कानून जनता के लिए है। जनता कानून के लिए नहीं है। मैंने सब कुछ इंसानियत के लिए किया है।

वर्धमान दक्षिण के एसडीपीओ अभिषेक मंडल ने कहा कि किसी को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी घटना के बाद क्या किया जाय। थाने के ओसी अनूप ने मोहल्ले के लोगों को एकजुट करने का काम किया। वह खुद उन पर नज़र रखते हैं। हम सब उनके साथ हैं।

Prev Article
36 साल चलने के बाद रूकी 'सुरेखा एक्सप्रेस'
Next Article
शालीमार से दक्षिण भारत जाने वाली स्पेशल ट्रेन, उत्सव के माहौल में दक्षिण पूर्व रेलवे द्वारा घोषणा

Articles you may like: