36 साल चलने के बाद रूकी 'सुरेखा एक्सप्रेस'

By अमर्त्य लाहिड़ी, Posted by: श्वेता सिंह

Sep 22, 2025 19:41 IST

सुरेखा यादव का योगदान भारतीय रेल के इतिहास में एक मील का पत्थर है। रेलवे में विशेष रूप से लोको पायलट जैसी इतनी कठिन भूमिका में पुरुष-महिला समानता लाने के क्षेत्र में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी।

36 साल की एक असाधारण यात्रा। आखिरकार 30 सितंबर को इसका समापन होने वाला है।भारतीय रेल से सेवानिवृत्त होने जा रही हैं सुरेखा यादव। वह न केवल भारत की, बल्कि पूरे एशिया की पहली महिला लोको पायलट हैं। शुरुआत उन्होंने की थी। पिछले लगभग चार दशकों में महिलाओं के लिए भारत के रेल नेटवर्क का चेहरा ही बदल गया है। वर्तमान में लगभग 1,500 महिला लोको पायलट भारतीय रेलवे में काम करती हैं।

सेंट्रल रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि गुरुवार को इगतपुरी से मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस तक राजधानी एक्सप्रेस चलाकर लाई हैं 60 वर्षीय सुरेखा। यह उनकी आखिरी ट्रेन चलाने की यात्रा थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर उनके सहकर्मियों ने उनका स्वागत किया। उन्हें माला पहनाकर, माथे पर टीका लगाकर सम्मानित किया गया। प्लेटफॉर्म पर ही एक छोटे पैमाने के सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था।

पीटीआई ने बताया कि महाराष्ट्र के सातारा जिले में जन्मी सुरेखा यादव ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था। उसके बाद 1989 में रेलवे में एक सहायक चालक के रूप में शामिल हुई थीं। 1996 में वह एक 'मालगाड़ी ऑपरेटर' और 2000 में एक 'मोटरवुमन' बनीं।

एक दशक बाद उन्होंने 'घाट चालक' की योग्यता हासिल की और मुंबई-पुणे भोर घाट जैसे कठिन मार्ग पर ट्रेन चलाना शुरू किया। वह 'डेक्कन क्वीन' जैसी कई प्रसिद्ध ट्रेनों की पायलट थीं। हाल ही में उन्होंने सोलापुर-मुंबई मार्ग पर वंदे भारत एक्सप्रेस भी चलाई।

सेंट्रल रेलवे की ओर से बताया गया है कि सुरेखा यादव का योगदान भारतीय रेल के इतिहास में एक मील का पत्थर है। रेलवे में विशेष रूप से लोको पायलट जैसी इतनी कठिन भूमिका में पुरुष-महिला समानता लाने के क्षेत्र में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी।

सोशल मीडिया पर सेंट्रल रेलवे ने कहा है कि 30 सितंबर को एशिया की पहली महिला ट्रेन चालक सुरेखा यादव अपने 36 साल के गौरवशाली करियर के बाद सेवानिवृत्त होंगी। वह एक सच्ची अग्रदूत हैं उन्होंने कई बाधाओं को पार किया है। असंख्य महिलाओं को प्रेरित किया है। उन्होंने साबित किया है कि कोई भी सपना पहुंच से बाहर नहीं है।

उद्योगपति आनंद महिंद्रा के अनुसार सुरेखा यादव एक 'आइकॉनिक चेंजमेकर' हैं। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है, 'उनके योगदान का जश्न मनाया जाना चाहिए।'

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