कोलकाता। रुपक बसु
पिछले 80 वर्षों से खिदिरपुर स्थित वीनस क्लब कृत्तिवास की रामायण की अकालबोधन परंपरा के अनुसार पूजा करता आ रहा है। लक्ष्मी-सरस्वती-कार्तिक-गणेश और महिषासुर की जगह मां दुर्गा के बगल में राम, विभीषण और हनुमान की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। इस मूर्ति को एक मूक-बधिर कलाकार ने बनाया है जिसका नाम शुभजीत साव है। कुल मिलाकर यह पूजा उस प्रचलित पद्धति से बिल्कुल अलग है।
लेकिन शुरुआत में सवाल यह था कि शुभजीत को कैसे समझाएं कि राम या हनुमान की मूर्ति बनानी है? कलाकार के बड़े भाई वरुण साव ने बतायाकि भाई को इशारों से पूरी बात समझानी होगी। हर मूर्ति बनाने का एक अलग प्रतीक होता है। अगर आप उसे वह दिखाएंगे तो वह समझ जाएगा कि क्या बनाना है।
शुभजीत के तीनों भाई जोका क्षेत्र में 'गौरांग स्टूडियो प्रतिमालय' चलाते हैं। यह एक पारिवारिक व्यवसाय है। जन्म से ही मूक-बधिर शुभजीत मूर्तियों की आंख बनाने से लेकरकारीगरी का हर काम संभालते हैं।
पारंपरिक अकालबोधन पूजा की तरह ही एक मूक-बधिर कलाकार को जिम्मेदारी देना भी वीनस क्लब की असाधारण सोच का परिचायक है। मंडप का विषय "हम महिलाएं हैं और हम सब कर सकते हैं" रखा गया है। मंडप को कुलो, शंख और पाला जैसी वस्तुओं से सजाया गया है। इसके अलावा, मातंगिनी हाजरा, लता मंगेशकर और पीटी उषा की उपलब्धियों की तस्वीरें प्रदर्शित की गयी हैं। यह सोच चिरंजीव साहा की है।
इन सबके बीच मूक कलाकार की कलाकृतियां और खुद उनके जीवन संग्राम से जूझने का तेवर भी मानो पूजा पंडाल में एक थीम बन कर उभरा है।