हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों की कई शिक्षिकाओं के तबादले का आदेश दिया गया है। इनमें से कोई 20 साल तो कोई 22 और कोई 25 सालों से स्कूलों में पढ़ाती हैं। इस सूची में मुख्य रूप से बांग्ला, भूगोल और गणित की शिक्षिकाएं ही हैं। लेकिन स्थानांतरण का यह आदेश मिलते ही कई शिक्षिकाओं के सिर पर मानो आसमान ही टूट कर गिरा है। क्यों?
परिस्थिति ऐसी बन रही है कि अब इनमें से अधिकांश शिक्षिकाओं को अपना घर और परिवार छोड़कर दूर के स्कूलों में नौकरी करने के लिए जाना पड़ेगा। विकास भवन के उपसचिव की ओर से जारी इस विज्ञप्ति में उत्तर 24 परगना जिले के बेगम रुकैय्या स्मृति बालिका विद्यालय की भूगोल की शिक्षिका को जलपाईगुड़ी गवर्नमेंट गर्ल्स हाईस्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया है। वहीं दक्षिण कोलकाता के शेखावत मेमोरियल गवर्नमेंट गर्ल्स हाईस्कूल की बांग्ला भाषा की शिक्षिका को मुर्शिदाबाद के भगवानगोला -1 ब्लॉक के न्यू इंटीग्रेटेड गवर्नमेंट स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया है।
नदिया के कृष्णनगर गवर्नमेंट गर्ल्स हाईस्कूल की बांग्ला भाषा की शिक्षिका का तबादला झाड़ग्राम के विनोदमंजरी गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल में कर दिया गया है। बता दें, वर्तमान शिक्षिकाओं का वर्तमान स्कूल से जिन स्कूलों में स्थानांतरण के लिए सिफारिश की गयी है, उनकी गूगल मैप पर दूरी करीब 250 से 600 किलोमीटर दिखी रही है। लेकिन वास्तविक दूरी इससे भी कई किलोमीटर ज्यादा ही होगी।
ऐसे में सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री की सलाह पर उत्सश्री पोर्टल के माध्यम से शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त व सरकार पोषित स्कूलों में कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाओं का उनके घरों के पास तबादले की पहल की थी। स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) के माध्यम से वर्ष 2021 के मध्य से 29 सितंबर 2022 तक लगभग 19 हजार शिक्षक-शिक्षिकाओं का तबादला उनके घरों के पास किया गया था। अब सरकारी स्कूलों में बिल्कुल अलग ही तस्वीर क्यों नजर आ रही है?
जिन शिक्षिकाओं का तबादला हुआ है, उनमें से अधिकांश ने ही घर से दूर के स्कूलों से अपनी नौकरी की शुरुआत की थी। बाद में वह धीरे-धीरे कोलकाता या उपनगरीय शहरों के स्कूलों में तबादला करवाकर पहुंची हैं। अब फिर से उन्हें अपने घर से दूर स्कूलों में स्थानांतरित किया जा रहा है। कई शिक्षिकाएं बुढ़े माता-पिता या सास-ससुर के स्वास्थ्य, बच्चों की पढ़ाई, पति की नौकरी या खुद की व्यक्तिगत समस्या या स्वास्थ्य की परेशानी से घिरी हुई हैं।
इस बारे में विकास भवन के एक अधिकारी का कहना है, 'सरकारी नौकरी में तबादले होते रहते हैं। सरकारी शिक्षिकाओं से एडवांस में मेडिकल रिपोर्ट लेने के बाद ही उन्हें एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरित किया गया है। अभी सिर्फ 3 विषयों में तबादले की सूची जारी की गयी है। जल्द ही बाकी विषयों में भी तबादला किया जाएगा। उत्सश्री की तरह एक पोर्टल बनाकर ही यह तबादला किया जा रहा है।'
लेकिन दूसरी तरफ एक और सवाल है, जिसका जवाब ढूंढने की कोशिश की जा रही है। वर्तमान में उच्च माध्यमिक में सेमेस्टर पद्धति से परीक्षा हो रही है। सिलेबस, पठनपाठन, परीक्षा और उनका मूल्यांकन हर चीज में बदलाव किया गया है। इसलिए जिन स्कूलों से विभिन्न विषयों की शिक्षिकाओं का तबादला दूसरे जिलों या स्कूलों में हो जाएगा, वहां इन विषयों को कौन पढ़ाएगा?
राज्य में नई पार्टी (तृणमूल) की सरकार आने के बाद से करीब 39 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की नियुक्ति लगभग ना के बराबर हुई है। ऐसे में विभिन्न विषयों के शिक्षकों की कमी तो रह ही गयी है। स्कूल शिक्षा विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अनुमोदित करीब 1843 पोस्ट में ज्यादा से ज्यादा 1000 शिक्षक ही कार्यरत हैं।
इस बारे में पश्चिम बंगाल सरकारी विद्यालय के शिक्षक समिति के सचिव सौगत बसु का कहना है कि राज्य के सरकारी ऑफिसों में प्रचलित नियमानुसार अगर किसी शिक्षक-शिक्षिका का तबादला उनके अपने शहर में हो जाता है तो जब तक वह नहीं चाहते हैं, तब तक उनको दूर के जिलों में बदली नहीं की जाती है। उनका कहना है कि अगर यह आदर्श नियम लागू रखना संभव नहीं है, तो कम से कम ऐसे किसी स्कूल में तबादला कर दिया जाए, जहां से आने-जाने में सुविधा हो। एकतरफा तबादला न करके नए सिरे से नियुक्ति की आवश्यकता थी।