“योग्य उम्मीदवारों को दिए गए 10 अंकों का विवाद: हाईकोर्ट में आज अंतिम सुनवाई”

एसएससी ने शुरुआत में ही पिछला फैसला अदालत को क्यों नहीं बताया, उठ रहे सवाल

By स्नेहाशीष नियोगी, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 12, 2025 13:36 IST

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर कानूनी और प्रशासनिक उलझनों में फंसती दिख रही है। स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) द्वारा शिक्षक पद के उम्मीदवारों को उनके पूर्व शिक्षण अनुभव के लिए 10 अतिरिक्त अंक देने के नियम पर अब नई बहस छिड़ गई है। इस नियम को लेकर दायर नई याचिका पर आज कोलकाता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में सुनवाई होनी है।

पहले भी खारिज हो चुका है मामला

2026 की भर्ती प्रक्रिया भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण रद्द कर दी गई थी, जिससे करीब 13,800 ‘नॉन-टेंटेड’ (अभियुक्त न रहे) शिक्षक-शिक्षिकाओं की नौकरी चली गई। इन उम्मीदवारों की उम्मीदें नई भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी थीं।

एसएससी ने इस बार भर्ती शुरू होने से पहले ही घोषणा की थी कि जिन उम्मीदवारों को पहले से शिक्षक के रूप में अनुभव है, उन्हें 10 अंक का वरीयता लाभ (Preference Marks) दिया जाएगा।

जुलाई 2024 में इस नियम को एक बार कोलकाता हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामला हाईकोर्ट के सिंगल बेंच, डिवीजन बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट तक गया था। तीनों स्तरों पर अदालतों ने एसएससी के नियम को वैध ठहराया और याचिकाएं खारिज कर दी थीं। लेकिन अब, उसी विषय पर फिर से नई याचिका दाखिल की गई है।

आज इस पर अंतिम सुनवाई होनी है, और दिलचस्प बात यह है कि पिछले मामले में जो वकील पेश हुए थे, वही वकील इस बार भी अदालत में दलील देंगे।

नॉन-टेंटेड उम्मीदवारों की चिंता — “भर्ती फिर न रुक जाए”

‘नॉन-टेंटेड’ उम्मीदवारों में बेचैनी है। उनका कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम निर्णय दे दिया है, तो फिर उसी विषय पर दोबारा याचिका दायर करना न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग है। उनका आरोप है कि यह सब भर्ती को रोकने और प्रक्रिया में देरी करने की साज़िश है।

साथ ही, कई उम्मीदवारों ने यह सवाल भी उठाया है कि एसएससी ने अदालत को पहले ही यह जानकारी क्यों नहीं दी कि इसी विषय पर पहले फैसला हो चुका है।

सोशल मीडिया पर उठे सवाल

कई योग्य शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सोशल मीडिया पर नाराज़गी जताते हुए लिखा —

“लेफ्ट शासन के दौरान 2007 में भी शिक्षक भर्ती में अनुभव के लिए साक्षात्कार से पहले 5 अंक दिए गए थे।

अगर अनुभव अंक असंवैधानिक हैं, तो फिर उस भर्ती का क्या होगा?” इन पोस्टों के ज़रिए शिक्षकों का तर्क है कि अनुभव को महत्व देना नई बात नहीं है, और पहले की सरकारों ने भी यही किया था।

याचिकाकर्ता पक्ष की दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील फिरदौस शमीम ने कहा , “स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षण अनुभव के आधार पर 10 अंक देने का कोई संवैधानिक आधार नहीं है।

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की किसी भी बेंच ने अब तक इस संवैधानिक प्रश्न पर प्रत्यक्ष रूप से कोई निर्णय नहीं दिया है।”

उन्होंने आगे कहा, “शिक्षक पद के लिए आवेदन के समय अदालत ने सिर्फ ‘नॉन-टेंटेड’ उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट दी थी। लेकिन अनुभव अंक देने के निर्णय को अदालत ने जांचा ही नहीं। इसलिए यह मामला फिर से उठाया गया है ताकि अदालत संवैधानिक दृष्टिकोण से इसकी वैधता तय कर सके।”

फिरदौस शमीम ने यह भी कहा , “लेफ्ट शासन में 5 अंक का लाभ सिर्फ इसलिए लागू हुआ क्योंकि किसी ने उसे चुनौती नहीं दी थी। अब, जब नई भर्ती प्रक्रिया शुरू हो रही है, तो फ्रेश उम्मीदवारों और नॉन-टेंटेड उम्मीदवारों के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए।”

‘योग्य’ मंच की प्रतिक्रिया — “पुरानी लड़ाई फिर से दोहराई जा रही है”

दूसरी ओर, ‘योग्य शिक्षक-शिक्षिका अधिकार मंच’ के संयोजक चिन्मय मंडल ने इस याचिका को “भर्ती रोकने की कोशिश” बताया।

उन्होंने कहा, “हाईकोर्ट के सिंगल और डिवीजन बेंच के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुभव अंक देने के नियम को सही ठहराया था। सब जगह असफल होकर अब वही मामला फिर से सिंगल बेंच में दाखिल किया गया है। यह न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग है।”

उन्होंने आगे जोड़ा , “सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा था कि हमने नॉन-टेंटेड उम्मीदवारों की सेवा अवधि 31 दिसंबर तक बढ़ाई है। वे 5-6 वर्षों तक योग्य शिक्षकों की तरह काम कर चुके हैं। यदि उन्हें अनुभव के आधार पर अंक दिए जाते हैं, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।”

‘योग्य’ उम्मीदवारों का आरोप — “राजनीतिक लाभ के लिए भर्ती में देरी”

‘योग्य’ उम्मीदवारों की ओर से राकेश आलम ने कहा, “कुछ वकील और दल इस भर्ती को रोककर राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं। अगर भर्ती नहीं होगी, तो वे लगातार इस मुद्दे पर राजनीति कर पाएंगे। इसलिए हर बार नए-नए मुकदमे लाए जा रहे हैं ताकि प्रक्रिया में देरी हो।” उन्होंने कहा कि अब राज्य के शिक्षक और अभ्यर्थी यह चाहते हैं कि अदालत जल्द से जल्द अंतिम फैसला सुनाए, ताकि भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सके और योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिले।

आज होगी अहम सुनवाई

आज कोलकाता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में इस मामले पर अंतिम बहस और संभावित फैसला होगा। राज्य के हजारों उम्मीदवारों की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं, क्योंकि इसका असर न केवल 2025 की भर्ती पर बल्कि भविष्य की सभी शिक्षक नियुक्तियों पर भी पड़ेगा।

Prev Article
जारी हुआ पश्चिम बंगाल SSC के द्वितीय SLST का रिजल्ट, कहां देख सकेंगे?
Next Article
WBCS परीक्षा की विज्ञप्ति जारी, कब होगी परीक्षा? कब से आवेदन शुरू?

Articles you may like: