डॉक्टरी की स्नातकोत्तर प्रवेशिका NEET-PG परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद दो महीने बीत गए हैं। लेकिन नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा देश भर के MD-MS कोर्स का सीट मैट्रिक्स प्रकाशित नहीं करने से अखिल भारतीय काउंसिलिंग शुरू नहीं हो पा रही है। इस वजह से अभ्यर्थी काफी चिंतित हैं। क्योंकि परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के लगभग 8 सप्ताह बाद भी देशभर में स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रम में प्रवेश व्यावहारिक रूप से स्थगित हो गया है।
अखिल भारतीय कोटा के अधीन प्रवेश प्रक्रिया संचालित करने वाली मेडिकल काउंसेलिंग कमेटी (MCC) ने बताया है कि NMC का आदेश है कि अगली घोषणा तक काउंसिलिंग को स्थगित रखा जाए। इससे राज्यवार प्रवेश प्रक्रिया में भी जटिलता पैदा हो गयी है। MCC के अधिकारियों का कहना है कि इस विलंब की मुख्यतः दो कारण हैं। पहला, NMC अभी तक शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए नए मेडिकल कॉलेज की अनुमति और चालू कॉलेजों में MD-MS सीटों की वृद्धि संबंधी प्रक्रिया को अंतिम रूप नहीं दे सका है। और दूसरा कारण कुछ कानूनी जटिलताएं हैं।
राज्य के स्वास्थ्य-शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने इस बारे में कहा कि जब तक सीट संबंधी अंतिम सूची (सीट मैट्रिक्स) अनुमोदित नहीं होती, MCC के लिए भी काउंसिलिंग को चलाना संभव नहीं है। वहीं, NMC सूत्रों से पता चला है कि विभिन्न मुकदमों की जटिलताएं भी देरी का एक बड़ा कारण हैं। सुप्रीम कोर्ट में कई विषयों पर सुनवाई चल रही है, जिसमें नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (NBEMS) के खिलाफ पूर्ण प्रश्नपत्र और उत्तर पत्र प्रकाशित करने की मांग भी शामिल है। स्वाभाविक रूप से इससे अभ्यर्थी MD-MS निराश हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि NEET-PG परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के बाद उन्हें कई नौकरी के ऑफर भी मिला था लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया। क्योंकि MD-MS कोर्स में दाखिला लेने पर वह नौकरी छोड़नी पड़ेगी। इधर कोर्स में दाखिला भी पिछड़ता जा रहा है! विशेषज्ञों के अनुसार, इस गतिरोध से चिकित्सा सेवा क्षेत्र पर प्रभाव पड़ रहा है। हर साल MD और MS छात्र सरकारी और निजी अस्पतालों की सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन देरी के कारण मेडिकल कॉलेज सहित देश के टीचिंग अस्पतालों को पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी (PGT) नहीं मिल पा रहे हैं।