समाचार एई समय : प्राथमिक-उच्च प्राथमिक स्तर पर कार्यरत शिक्षकों को भी दो साल के अंदर टेट (TET) की परीक्षा पास करनी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो नौकरी नहीं बचेगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह फैसला लगभग डेढ़ माह पहले ही सुनाया था। उस फैसले के पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर किया जाएगा अथवा केंद्र सरकार के अध्यादेश जारी होने का इंतजार किया जाएगा— राज्य सरकार इस दुविधा फंसी हुई है। वहीं इस बीच 'ऑल पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन' (APGTWA) और 'बंगीय प्राथमिक शिक्षक समिति' आंदोलन में शामिल हो गई।
वर्ष 2016 की नियुक्ति में भ्रष्टाचार मामले में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर पहले से ही 17,206 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नौकरी चली गई है। प्राथमिक में भी 32 हजार शिक्षक-शिक्षिकाओं की नौकरी कोलकाता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया है। इसके बाद उनका भविष्य डिवीजन बेंच पर ही निर्भर कर रहा है। इस स्थिति में उनकी मांग है कि केंद्र के फैसले का इंतजार न करते हुए राज्य तुरंत सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करे।
गुरुवार को नए सिरे से कार्यरत शिक्षकों की टेट परीक्षा पर आपत्ति जताते हुए राज्य के 23 जिला स्कूल निरीक्षकों (माध्यमिक) को एपीजीटीडब्ल्यूए ने डेप्यूटेशन दिया है। उनका कहना है कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने एसएससी की नियुक्ति परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद ही नियुक्ति पाई है। वह फिर से टेट क्यों देंगे?
उनकी मांग है कि राज्य सरकार नॉर्मल सेक्शन के टीचरों की रोस्टर ऑफ अपॉइंटमेंट समस्या का समाधान करके सभी ऑनर्स/पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर प्रमोट करें। बंगीय प्राथमिक शिक्षक समिति ने इस दिन विकास भवन में अभियान का भी आह्वान किया था। करुणामयी बस स्टैंड पर एकत्र होकर उन्होंने विकास भवन तक रैली निकाली। उन्होंने स्कूल शिक्षा कमिश्नर के पास इस संबंध में मांग पत्र जमा किया। परिषद के अध्यक्ष गौतम पाल को भी डेप्यूटेशन सौंपा गया।