पीएचडी के दौरान दूसरे कोर्स में दाखिले का आवेदन! तृणमूल छात्र नेता के आवेदन पर जादवपुर यूनिवर्सिटी में विवाद

आरोप है कि जेयू की बागडोर अपने हाथों में रखने के लिए ही वह फिर से एक नए विषय में दाखिले के लिए आवेदन कर रहे हैं। वामपंथी छात्र संगठनों ने संजीव प्रामाणिक का आवेदन रद्द करने की मांग की है।

By Joy Saha, Posted By : Moumita Bhattacharya

Oct 14, 2025 18:29 IST

पहले स्नातक किया, फिर स्नातकोत्तर किया। उसके बाद एम.फील किया और अब पीएचडी कर रहे हैं। इसके बाद चाहते हैं कि जादवपुर विश्वविद्यालय (Jadavpur University) में एक स्नातकोत्तर कोर्स में दाखिला लेना चाहते हैं। लेकिन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के वर्तमान नियमानुसार किसी भी कोर्स या पीएचडी करते समय किसी रेगुलर कोर्स में दाखिला लेना संभव नहीं है। अगर ऐसे किसी कोर्स के लिए आवेदन किया भी गया हो तो उसके रद्द होने की संभावना ही प्रबल होती है।

लेकिन आरोप है कि इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह आरोप लगाया जा रहा है संजीव प्रामाणिक नामक एक छात्र के खिलाफ। आरोप है कि संजीव जनर्लिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन की प्रवेश परीक्षा में बैठ चुके हैं और उनका नाम मेधा सूची में भी आ चुका है। उन्हें दाखिले के लिए बुलाया भी गया था। लेकिन ऐसा क्यों किया गया? आरोप लगाया जा रहा है कि तृणमूल छात्र परिषद में राज्य साधारण सचिव के पद पर होने का उन्हें फायदा मिल रहा है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय प्रबंधन की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

आरोप है कि संजीव प्रामाणिक, जो इससे पहले जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में टीएमसीपी यूनिट के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं। वर्तमान में वह सोशियोलॉजी विषय से पीएचडी कर रहे हैं और पिछले लंबे समय से ही विश्वविद्यालय परिसर में उनका लगातार आना-जाना लगा रहता है। उनका शोध का काम लगभग पूरा हो चुका है। थीसीस जमा कर दी गयी है। बस फाइनल वाइवा होना बाकी है। यह होते ही वह विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कहलाने लगेंगे।

आरोप है कि जेयू की बागडोर अपने हाथों में रखने के लिए ही वह फिर से एक नए विषय में दाखिले के लिए आवेदन कर रहे हैं। वामपंथी छात्र संगठनों ने संजीव प्रामाणिक का आवेदन रद्द करने की मांग की है। हालांकि सवाल पूछने पर संजीव का कहना है कि बाबा साहेब अम्बेडकर के पास कितनी स्नातकोत्तर की डिग्रियां थी?दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दूल कलाम ने भी कई विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी। फिर मैं क्यों नहीं कर सकता? मैं तो सिर्फ पढ़ाई ही करना चाहता हूं।

एसएफआई के सदस्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि हमने देखा है कि मास कम्यूनिकेशन में तृणमूल के एक नेता ने दाखिले के लिए आवेदन किया है। उन्हें गैर कानूनी से दाखिला दिलाने की कोशिश चल रही है। हम चाहते हैं कि अविलंब उनकी दाखिले की प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाए। पीएचडी करते-करते स्नातकोत्तर में दाखिला नियमानुसार ही संभव नहीं है। इसके बावजूद वह कैसे दाखिला लेना चाहते हैं? जो योग्य हैं, जिनको दाखिले की वास्तव में जरूरत है, ऐसे छात्र ही वेटिंग लिस्ट में चले जा रहे हैं!

'अतिवाम' छात्र संगठन के नाम से परिचित आरएसएफ के एक अन्य सदस्य का कहना है, 'फॉर्म भरते समय संजीव ने घोषित किया था कि वह विश्वविद्यालय में एनरोल्ड नहीं हैं। फॉर्म पर स्पष्ट लिखा रहता है कि अगर जानकारियां गलत पायी गयी तो आवेदन रद्द कर दिया जाएगा। लेकिन संजीव को दाखिला देने के लिए अलग से बैठक बुलायी जा रही है!'

इस बात को लेकर ही विश्वविद्यालय प्रबंधन के कुछ अधिकारियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि इस बारे में संजीव का कहना है कि वह सोशियोलॉजी के वाइवा का इंतजार कर रहे हैं। यह विश्वविद्यालय 10 दिनों के अंदर ही कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो मेरे दाखिले में फिर कोई समस्या नहीं होगी। इसके अलावा अगर मास कम्यूनिकेशन विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री रहने पर तो विदेशों में पढ़ने के लिए जाने में मुझे आसानी होगी। इसलिए ही मैंने आवेदन किया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फैकल्टी के सचिव ने संजीव को आवेदन रद्द होने का नोटिस भेजा है। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उसमें कोई आपत्ति नहीं जतायी है। हालांकि अभी भी काफी लोग यह सवाल जरूर उठा रहे हैं कि फॉर्म जमा करते समय ही संजीव का नियमानुसार आवेदन क्यों रद्द नहीं किया गया।

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