आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि राज्य में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज भले ही पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल में विकसित किए जा रहे हों, लेकिन उनका प्रशासन और अधिकार क्षेत्र पूरी तरह सरकार के अधीन होगा। राज्य सरकार द्वारा 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों को पीपीपी मॉडल में विकसित करने के फैसले ने हाल ही में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था।
चार शहरों में पहले चरण के कॉलेज, टेंडर प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी होगी
स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम ने पहले चरण के उन मेडिकल कॉलेजों की प्रगति की जानकारी ली जो पीपीपी मॉडल में आडोनी, मार्कापुरम, मदनापल्ले और पुलिवेंदुला में बनाए जा रहे हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया के चार चरण पूरे हो चुके हैं और पूरा काम दिसंबर 2025 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
गांवों में भी मिलेंगी शहर जैसी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं
नायडू ने कहा कि पीपीपी मॉडल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में भी वे स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी जो अभी केवल शहरों तक सीमित हैं। सीएम के अनुसार, इस मॉडल से छात्रों, आम जनता और पूरे समाज को लाभ होगा।
प्रत्येक कॉलेज के लिए 50 एकड़ जमीन आवंटित की गई है।
25 एकड़ में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल
25 एकड़ में नर्सिंग, पैरामेडिकल, डेंटल और अन्य सुविधाएं
70% बेड गरीबों के लिए मुफ्त
सीएम नायडू ने कहा, “अस्पतालों में 70 प्रतिशत बेड गरीबों के लिए मुफ्त होंगे और सभी स्वास्थ्य सेवाएं भी नि:शुल्क दी जाएंगी।” उन्होंने निर्देश दिया कि सभी अस्पताल सरकारी मानकों के अनुसार संचालित किए जाएं।
संजेवनी हेल्थ प्रोजेक्ट बनाएगा डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड
नायडू ने बताया कि संजेवनी हेल्थ प्रोजेक्ट का डिजी नर्व सेंटर स्वास्थ्य क्षेत्र में गेमचेंजर साबित होगा। यह परियोजना फिलहाल कुप्पम में पायलट आधार पर चल रही है जिसके तहत 49,000 लोगों का स्वास्थ्य डेटा एकत्र किया जा चुका है।
यह परियोजना 1 जनवरी 2026 से चित्तूर जिले में लागू की जाएगी। यह कार्यक्रम टाटा समूह और बिल गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से चल रहा है।
1 अप्रैल 2026 से यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम लागू होगी
सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम को 1 अप्रैल 2026 से लागू कर दिया जाए।अधिकारियों ने बताया कि अभी एनटीआर सेवा ट्रस्ट के माध्यम से हर महीने 12 लाख दावों का निपटारा 330 करोड़ रुपये खर्च कर किया जा रहा है। नायडू ने साथ ही कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च घटाने के लिए रोकथाम और उपचार प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाए और संजेवनी प्रोजेक्ट से प्राप्त डेटा का विश्लेषण कर एक एक्शन प्लान तैयार किया जाए।