एई समय : गड़ियाहाट के सिंघी पार्क में इस बार दुर्गा पूजा का आयोजन मन के राक्षस पर काबू पाने की थीम पर किया जा रहा है। कमेटी और आयोजकों ने इस थीम के आधार पर पूजा पंडाल की सजावट के लिए भगवान शिव के परम भक्त रावण का उदाहरण पेश किया है। वहीं पद्मपुकुर यूथ अपने पूजा पंडाल के माध्यम से दर्शनार्थियों को जल संरक्षण के लाभ और पानी की बर्बादी रोकने का संदेश दे रहे हैं।
पिछले 84 सालों से सिंघी पार्क में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। थीम के बारे में आयोजकों का कहना है कि रावण भले ही महादेव का परम भक्त था, लेकिन उसके चरित्र में कई नकारात्मक पहलू थे। इनकी वजह से भगवान राम के हाथों उसका विनाश हुआ। मान्यताओं के अनुसार रावण से युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए श्री राम ने देवी दुर्गा की आराधना की थी।
दशरथ पुत्र राम ने मां दुर्गा का अकाल बोधन क्यों किया था, देवी दुर्गा ने श्री राम की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए पूजा में रखे गए 108 कमल के फूलों में से एक कमल को कैसे छिपा दिया था - यह कहानियां हमेशा से ही चर्चित रही हैं। लेकिन ये कभी पुरानी नहीं होतीं। पुराणों में वर्णित इन कहानियों को ही पूजा पंडाल के माध्यम से फिर से याद दिलाया जाएगा।
पूजा कमेटी की ओर से अभिजीत मजूमदार का कहना है कि हम इस पूजा पंडाल के माध्यम से केवल एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि एक गहरा संदेश दे रहे हैं। यह संदेश मन की गहराई में पल रहे राक्षसों का दमन करने का है। रावण सभी शास्त्रों में पारंगत था। लेकिन जिस दिन उसके पापों का घड़ा भर गया, उसी दिन उसका विनाश हो गया। यह बात सभी पर लागू होती है।"
हालांकि इतना पुराना न होने पर भी इस बार पद्मपुकुर युवा पूजा कमेटी का 53वां साल मनाया जा रहा है। यहां जल संरक्षण का संदेश थीम के माध्यम से दिया जा रहा है। यहां थीम 'जल छवि' रखा गई है। पूजा पंडाल को पानी पर बनाया गया है। पूजा कमेटी की ओर से संयोजक वरुण अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री की जल धरो, जल भरो परियोजना ही इस थीम की प्रेरणा है।
पंडाल की सजावट की जिम्मेदारी कलाकार मानस रॉय के हाथों में है। उनका कहना है कि थोड़े से पानी के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कितना संघर्ष चल रहा है। और हम पानी की बर्बादी करते हैं! इसके खिलाफ संदेश देने के लिए पंडाल को इस थीम पर बनाने की योजना बनाई गई है। मानस ने बताया कि पंडाल में एक विशाल कलश भी होगा। संकल्प से लेकर पूजा के हर चरण तक, कलश की जरूरत होती है। उसी तरह, कलश जल का भंडार भी है। इसी सोच के साथ मंडप की सजावट की गई है।