बिहार (Bihar) की लोककला के बारे में जब भी पूछा जाता है तो सबसे पहला नाम आता है 'मिथिला पेंटिंग्स' जिसे मधुबनी पेंटिंग्स (Madhubani Art) के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ सोशल मीडिया के जमाने में छठ पूजा (Chhath Puja) अब सिर्फ बिहार लोक संस्कृति का ही एक हिस्सा भर नहीं रह गया है, बल्कि देशभर के लोग अब इस महापर्व के बारे में जानते हैं।
अगर इन दोनों के मधुर संगम के साथ कोलकाता की दुर्गा पूजा का अनुभव भी करना चाहते हैं तो आपको उत्तर कोलकाता के टाला बारोआरी (Tala Barowari) दुर्गा पूजा पंडाल में जरूर आना चाहिए।
टाला बारोआरी में इस साल थीम 'मधुसदन' रखा गया है। पंडाल के साथ-साथ मां दुर्गा की प्रतिमा में भी आपको मधुबनी कला की झलक स्पष्ट दिखाई देगी। इसके साथ ही मधुबनी कला के अलग-अलग थीम जैसे छठ पूजा, सूर्य देव, श्रीराम-माता सीता स्वयंवर, विवाह आदि के आधार पर पंडाल की सजावट की गयी है। महानगरों में जहां क्रंकिट का जंगल ही बस दिखाई देता है, वहीं टाला बारोआरी के पूजा पंडाल में प्रवेश करते ही आपको इंद्रधनुषी रंगों की एक दुनिया दिखाई देगी।
उत्तर कोलकाता में भले ही कई दुर्गा पूजा पंडाल इन दिनों लोकप्रिय हो रहे हो, लेकिन टाला बारोआरी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी है। इस साल दुर्गा पूजा ने 105वें वर्ष में कदम रखा है। इस पूजा पंडाल को किसी मधुबनी आर्ट प्रदर्शनी की गैलरी के तौर पर सजाया गया है। यहां आपको हरे, नीले, पीले, लाल हर तरह के रंगों की कलाकृतियां दिखाई देगी।
मीडिया से बात करते हुए आयोजकों ने दावा किया कि इस पूरा पंडाल को सिर्फ दुर्गा पूजा ही नहीं बल्कि ऐसे तैयार किया गया है ताकि हर वर्ग के लोगों इस कलाकारी का आनंद उठा सकें। खासतौर पर विदेशी पर्यटक जो दुर्गा पूजा के समय कोलकाता आते हैं, उन्हें देश के दूसरे हिस्सों की कलाकृतियों के बारे में भी जानने का मौका मिलेगा।