दुर्गापुर में इस साल देखें ग्रामीण बंगाल की छवि, थाईलैंड के मंदिर के तर्ज पर बनाया गया पंडाल

दुर्गा पूजा के चार दिनों में आसपास के जिलों से भी यहां भारी भीड़ जमा होती है। विजयादशमी के दिन स्टील टाउनशिप के चित्रालय मेला मैदान में दशहरा उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें होने वाले रावण दहन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

By Ayantika Saha, Posted By : Moumita Bhattacharya

Sep 25, 2025 17:24 IST

संजय दे, दुर्गापुर

इस्पात के लिए प्रसिद्ध होने के बावजूद दुर्गापुर की दुर्गा पूजा भी काफी लोकप्रिय है। इस औद्योगिक शहर के कुछ पूजा पंडालों का बजट तो कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों को भी टक्कर देता है। दुर्गा पूजा के चार दिनों में आसपास के जिलों से भी यहां भारी भीड़ जमा होती है। विजयादशमी के दिन स्टील टाउनशिप के चित्रालय मेला मैदान में दशहरा उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें होने वाले रावण दहन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

दुर्गा पूजा पंडालों में घूमने के लिए आने वाले दर्शनार्थियों की सूची में पहला नाम हमेशा से ही दुर्गापुर के स्टील टाउनशिप के मार्कनी दक्षिणपल्ली सार्वजनिक दुर्गा पूजा होती है। इस बार 65वें वर्ष की दुर्गा पूजा आयोजित की जा रही है, जिसमें थाईलैंड के सैंक्चुअरी ऑफ ट्रुथ म्यूजियम की तर्ज पर मार्कनी ने पूजा पंडाल का निर्माण किया है। इस पूजा पंडाल को देखने के बाद आपका अगला गंतव्य सी-जोन क्षेत्र के बुद्धविहार की दुर्गा पूजा हो सकती है। इस बार यहां का थीम है 'मैं वही लड़की हूं'।

आयोजकों का दावा है कि दर्शनार्थी पूजा पंडाल में प्रवेश करके नारी चरित्र के विभिन्न रूपों को देखेंगे। बुद्धविहार के बाद अधिकांश दर्शनार्थियों का गंतव्य सिटी सेंटर क्षेत्र की चतुरंग दुर्गा पूजा होती है। मैदान बनाया गया विशाल दुर्गा पूजा पंडाल जिसके चारों ओर तरह-तरह के खाने-पीने की चीजों का स्टॉल, मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और साथ में ढेर सारे गप्पे। चतुरंग की दुर्गा पूजा की यही विशेषताएं ही होती हैं। इस बार यहां की पूजा का थीम है 'सोनार बांग्ला'।

चतुरंग के पास ही अंबुजानगरी की उर्वशी सार्वजनिक दुर्गा पूजा का भी काफी अच्छा नाम है। इस बार अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के तर्ज पर पूजा पंडाल बनाया गया है। दुर्गापुर स्टेशन बाजार व्यापारी समिति की पूजा भी काफी आकर्षक होती है। इस बार यहां इंडोनेशिया के एक नारायण मंदिर के तर्ज पर पूजा पंडाल बनाया गया है। लेकिन सबका ध्यान अग्रणी सांस्कृतिक परिषद का लगभग डेढ़ सौ फुट ऊंचा थाईलैंड के अरुण मंदिर की तर्ज पर बना पंडाल अपनी तरफ जरूर खींचने वाला है।

फुलझोड़ सार्वजनिक दुर्गा पूजा को दुर्गापुर में थीम पूजा का जनक कहा जाता है। यहां पर मां दुर्गा के दर्शन करने के लिए शाम से लंबी लाइन लग जाती है। रात जितनी बढ़ती है, लाइन भी उतनी लंबी होती जाती है। इस बार फुलझोड़ के दुर्गा पूजा पंडाल में ग्रामीण बंगाल की कला, संस्कृति, ग्रामीण परिवेश को दर्शाया गया है। यहां पूजा पंडाल का निर्माण पूर्व मेदिनीपुर के कलाकारों ने फूस, मिट्टी, खजूर की पत्तियां, सरकंडे सहित सामग्रियों का इस्तेमाल कर किया है।

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