दुर्गापूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं है, यह बंगालियों की भावना है। माँ दुर्गा की आराधना, सिंदूर खेल और विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट बंगाली व्यंजन खाना ही इस उत्सव का असली आनंद है। हालांकि दुर्गापूजा बंगालियों का सबसे बड़ा त्योहार है, यह भारत के कई शहरों में मनाया जाता है। कोलकाता ही नहीं मुंबई और दिल्ली, हर शहर की पूजा की अपनी विशेषताएं हैं।
दुर्गापूजा के लिए कोलकाता पूरे देश में प्रसिद्ध है। कोलकाता के थीम पूजा और कलाकृतियों को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों लोग आते हैं। इसके अलावा कोलकाता में पारंपरिक तरीके से मिट्टी से बनायी गयी मां दुर्गा की मूर्तियों को देखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से लोग आते हैं। कुम्हारटोली की मूर्तियां पूरे विश्व में मशहूर हैं। कुम्हारटोली के मूर्तिकारों की बनायी गयी मां दुर्गा की मूर्तियां विदेश भी भेजी जाती हैं। कुल मिलाकर कोलकाता की पूजा की ही नहीं यहां तैयार मूर्तियों की तुलना दुनिया भर से करना एक तरह से असंभव है।
मुंबई में दुर्गापूजा पारंपरिक बंगाली रीति-रिवाजों और शहर के अपने जीवंत माहौल के मिश्रण के साथ मनाया जाता है। शिवाजी पार्क और माटुंगा जैसे क्षेत्रों में विशाल पंडाल बनाए जाते हैं जहां हर साल बड़ी संख्या में भक्त एकत्र होते हैं। इतना ही नहीं काजोल, रानी मुखर्जी और कुमार शानू जैसी मशहूर हस्तियां भी मुंबई की पूजा समितियों से जुड़ी रहती हैं। यहां के पूजा पंडालों में स्वादिष्ट बंगाली व्यंजनों के स्टॉल होते हैं।
असम के गुवाहाटी में दस दिनों तक दुर्गापूजा मनाई जाती है जहां पारंपरिक बंगाली रीति-रिवाजों के साथ असमिया संस्कृति का मिश्रण होता है। हर साल यहां के पंडाल और मूर्तियां बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करती हैं। पूजा के दिनों में विभिन्न मेले, प्रदर्शनियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो असम की परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं।
दिल्ली में भी दुर्गापूजा बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। चित्तरंजन पार्क और कालकाजी जैसे बंगाली बहुल क्षेत्र दुर्गापूजा के लिए प्रसिद्ध हैं। पुरानी परंपराओं के साथ-साथ यहां के पंडालों में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के स्टॉल होते हैं जो उत्सव के आनंद को और बढ़ा देते हैं। दिल्ली में काली बाजार, कश्मीरी गेट, मयूर विहार-1 और चित्तरंजन पार्क के कालीबाड़ी सहित कुछ लोकप्रिय पंडाल हैं।
दुर्गापूजा देखने के लिए पटना भी अब एक लोकप्रिय शहर की सूची में शामिल हो गया है। यहां के विभिन्न मोहल्लों में थीम की प्रतियोगिता होती है। इस साल पटना नगर निगम ने गंगा घाट के पास 10 कृत्रिम जलाशय बनाए हैं। यहां पर्यावरण के अनुकूल बनायी गयी मूर्तियों का विसर्जन होगा।
कुल्लू में दुर्गापूजा 'कुल्लू दशहरा' के नाम से मनाया जाता है। यह रावण पर राम की विजय का सम्मान करने का उत्सव है। यह बुराई की शक्तियों के विनाश और अच्छाई की शक्तियों की जीत का प्रतीक है। यह उत्सव एक सप्ताह से भी अधिक समय तक चलता है।
पुणे में भी दुर्गापूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यहां उत्सव के अंत में मूर्ति विसर्जन एक बड़ी शोभायात्रा और आतिशबाजी के साथ किया जाता है। पुणे में देवी की मूर्ति को फूल, पत्तियों और फलों से सजाया जाता है। यहां का सबसे पुराना और प्रसिद्ध पूजा कांग्रेस भवन दुर्गापूजा है।
हैदराबाद में दुर्गापूजा बहुत आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है। त्योहार के मौसम में यह शहर बहुत सुंदर ढंग से सजाया जाता है। पंडाल, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खाने के स्टॉल और मूर्तियों की प्रदर्शनी से हर मंडप जीवंत हो उठता है।
पूरे देश में दुर्गा पूजा को लेकर उत्साह है। हर कोई दुर्गा पूजा का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। पूजा के दिनों में अपने परिवार और दोस्तों के साथ पूजा पंडालों में घूमने का लोग साल भर इंतजार करते हैं।