वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता जब भी गहराती है, निवेशकों की नजर सबसे पहले सोने पर जाती है। इस समय भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों बाजारों में सोने की कीमतें अपने सर्वकालिक उच्च स्तर के आसपास बनी हुई हैं। हालांकि बीच-बीच में हल्की अस्थिरता दिख रही है, लेकिन बड़े संकेत अभी भी सोने के पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं।
क्यों हर दौर में चमकता है सोना?
इतिहास बताता है कि जब भी वास्तविक ब्याज दरें नकारात्मक होती हैं, सोना बेहतर प्रदर्शन करता है। आज भी यही स्थिति है। कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में वास्तविक ब्याज दरें शून्य या उससे नीचे हैं। दुनिया के बड़े हिस्से में नकारात्मक यील्ड वाला कर्ज मौजूद है, जहां निवेशकों को पैसा रखने के लिए भी कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे माहौल में सोना एक स्वाभाविक विकल्प बनकर उभरता है।
इसके अलावा, केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीद, भारत और चीन में ज्वेलरी की मजबूत मांग और महंगाई से बचाव की जरूरत सोने को दीर्घकालिक मजबूती देती है।
निवेशकों के लिए क्या रणनीति हो?
विशेषज्ञों की राय में, सोना किसी भी पोर्टफोलियो का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। आम तौर पर 2% से 10% तक का निवेश सोने में रखना एक समझदारी भरा कदम माना जाता है। यह शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के समय सुरक्षा कवच का काम करता है और महंगाई के खिलाफ भी हेज प्रदान करता है।
कमजोर डॉलर और फेड की भूमिका
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाल के सत्रों में सोने में करीब 1% की नरमी जरूर आई, लेकिन इसके बावजूद यह ऑल-टाइम हाई के करीब कारोबार कर रहा है। इसकी एक बड़ी वजह अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना है। डॉलर तीन महीने के निचले स्तर के आसपास बना हुआ है, जिससे बिना ब्याज वाला एसेट होने के बावजूद सोना निवेशकों के लिए ज्यादा आकर्षक बन गया है।
इसके साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व को लेकर बाजार की धारणा भी सोने को सपोर्ट दे रही है। निवेशकों को भरोसा है कि आने वाले वर्षों में, खासकर 2026 के आसपास, फेड ब्याज दरों में कटौती के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है। कम ब्याज दरों का मतलब है-सोना रखने की अवसर लागत कम होना।
भारत में ऐतिहासिक तेजी
घरेलू बाजार में यह ट्रेंड और ज्यादा स्पष्ट दिखता है। MCX पर सोने के वायदा भाव हाल ही में ₹1.40 लाख प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गए, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। सिर्फ एक हफ्ते में कीमतों में 4% से ज्यादा की तेजी इस बात का संकेत है कि घरेलू निवेशक भी सोने को लेकर काफी आश्वस्त हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में ट्रेडिंग थोड़ी सुस्त रह सकती है। इसकी वजह है अमेरिकी फेड की बैठक के मिनट्स, जिनसे ब्याज दरों की आगे की दिशा पर ज्यादा स्पष्टता मिल सकती है।
2025 की ऐतिहासिक रैली और आगे की राह
साल 2025 सोने के लिए असाधारण रहा है। कीमतों में 70% से ज्यादा की उछाल 1979 के बाद सबसे बड़ी सालाना बढ़ोतरी मानी जा रही है। यह तेजी सिर्फ सट्टेबाजी का नतीजा नहीं है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे गहरे बदलावों को दर्शाती है—महंगाई का दबाव, धीमी होती ग्रोथ, जियोपॉलिटिकल तनाव और सेंट्रल बैंकों की बदलती नीतियां।
अब सवाल यह है कि क्या 2026 में भी यही रफ्तार देखने को मिलेगी? बाजार विशेषज्ञों का जवाब थोड़ा संतुलित है। उनका मानना है कि 2025 जैसी बेमिसाल तेजी दोहराना मुश्किल है, लेकिन लंबी अवधि में सोने का ट्रेंड अभी भी सकारात्मक बना हुआ है।
2026 के लिए क्या कहते हैं अनुमान?
कमोडिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर सोना आने वाले समय में $5,000 से $5,200 प्रति औंस की ओर बढ़ सकता है। वहीं, घरेलू बाजार में MCX पर इसके भाव ₹1.50 लाख से ₹1.55 लाख प्रति 10 ग्राम के दायरे में देखे जा सकते हैं। कुछ विश्लेषकों को तो 2026 की पहली छमाही में ₹1.60 लाख तक का स्तर भी संभव लगता है।
इन अनुमानों के पीछे मुख्य कारण हैं-मॉनिटरी पॉलिसी में नरमी की उम्मीद, डी-डॉलराइजेशन का बढ़ता रुझान, वैश्विक व्यापार तनाव और जियोपॉलिटिकल जोखिम।
सोना इस समय सिर्फ एक कमोडिटी नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता का आईना बन चुका है। भले ही आने वाले साल में तेजी की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़े, लेकिन जब तक ब्याज दरें दबाव में हैं, डॉलर कमजोर है और वैश्विक जोखिम बने हुए हैं-सोने की चमक फीकी पड़ने के आसार कम ही नजर आते हैं। निवेशकों के लिए संदेश साफ है: सोना अब भी सुरक्षित निवेश बना रहेगा, लेकिन संतुलन और धैर्य के साथ।