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तंबाकू पर टैक्स बम, सिगरेट पीना होगा महंगा

केंद्र के नए एक्साइज बिल से प्रीमियम सिगरेट और हुक्का तंबाकू सबसे ज्यादा महंगे होने के संकेत।

By अभिरुप दत्ता, Posted by: श्वेता सिंह

Dec 30, 2025 19:48 IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार तंबाकू उत्पादों पर कर व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसका उद्देश्य न सिर्फ राज्य और केंद्र के राजस्व को बढ़ाना है बल्कि जनस्वास्थ्य की रक्षा करना भी है। इसके तहत सिगरेट, सिगार, हुक्का तंबाकू, च्यूइंग टोबैको और विभिन्न स्मोकिंग मिक्सचर पर उत्पाद शुल्क और सेस में भारी बढ़ोतरी की योजना है।

हाल ही में संसद के उच्च सदन से सेंट्रल एक्साइज (संशोधन) बिल, 2025 को मंजूरी मिल चुकी है। यह बिल 1944 के सेंट्रल एक्साइज एक्ट में बदलाव का हिस्सा है और इसके लागू होने के बाद तंबाकू उद्योग की लागत और उत्पादों की खुदरा कीमतों में महत्वपूर्ण वृद्धि आ सकती है।

नए बिल के तहत टैक्स दर में भारी इजाफा

पुराने कानून के अनुसार, प्रति 1000 सिगरेट पर उत्पाद शुल्क 200 रुपये से 735 रुपये तक था। नए संशोधन के तहत यही शुल्क बढ़कर 2700 रुपये से 11,000 रुपये तक पहुंच सकता है।

साथ ही, मैन्युफैक्चर्ड टोबैको पर भी ऊंची दर से टैक्स लगाने का प्रस्ताव है, जिससे प्रीमियम और बड़े ब्रांड वाली सिगरेटों पर असर सबसे अधिक पड़ेगा।

चबाने वाले तंबाकू पर उत्पाद शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत किया जा सकता है। हुक्का तंबाकू पर टैक्स 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, पाइप और सिगरेट में इस्तेमाल होने वाले स्मोकिंग मिक्सचर पर टैक्स 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 325 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव है।

कीमतों पर पड़ेगा असर

सबसे बड़ा असर सिगरेट की खुदरा कीमतों पर पड़ने की संभावना है। खासकर प्रीमियम सिगरेट और बड़े फिल्टर वाली सिगरेटों की कीमतें भारी बढ़ सकती हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, मौजूदा समय में जो सिगरेट 18 रुपये प्रति पीस बिक रही है, नए टैक्स लागू होने के बाद उसकी कीमत 70–72 रुपये तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, सस्ती सिगरेट, गुटखा, हुक्का तंबाकू, सिगार और विभिन्न स्मोकिंग मिक्सचर भी महंगे हो सकते हैं।

स्वास्थ्य को कारण बताते हुए उठाया कदम

सरकार का कहना है कि यह कदम जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उठाया जा रहा है। कीमतों में वृद्धि से तंबाकू की खपत पर असर पड़ेगा और लोगों को धूम्रपान और तंबाकू सेवन से दूर रखने में मदद मिलेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं की जेब पर असर डालेगा, बल्कि तंबाकू उत्पाद उद्योग को भी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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