नयी दिल्लीः घरेलू उद्योग को सस्ते आयात की परेशानी से बचाने के लिए भारत ने कड़ा कदम उठाया है। चालू महीने में ही चीन से आने वाले दो उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है। ये उत्पाद एक रेफ्रिजरेंट गैस और एक विशेष प्रकार का इस्पात हैं।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार चीन से आयात होने वाले कोल्ड-रोल्ड नॉन-ओरिएंटेड इलेक्ट्रिकल स्टील और 1,1,1,2-टेट्राफ्लुओरोइथेन या आर-134ए गैस पर यह शुल्क लगाया गया है। आरोप है कि इन उत्पादों को सामान्य कीमत से काफी कम दाम पर चीन से भारत भेजा जा रहा था।
इस्पात उत्पादों के मामले में कुछ चीनी कंपनियों पर प्रति टन 223.82 डॉलर का शुल्क लगाया गया है। वहीं कुछ अन्य कंपनियों के लिए यह शुल्क प्रति टन 415 डॉलर है। यह एंटी-डंपिंग ड्यूटी अगले पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगी। रेफ्रिजरेटर में इस्तेमाल होने वाली गैस आर-134ए के मामले में प्रति टन अधिकतम 5 हजार 251 डॉलर तक की एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है। यह शुल्क भी अगले पांच वर्षों तक लागू रहेगा।
इसके अलावा वियतनाम से आयात होने वाले कैल्शियम कार्बोनेट फिलर मास्टरबैच पर भी भारत ने एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है। यह उत्पाद मुख्य रूप से प्लास्टिक उद्योग में व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है।
वाणिज्य मंत्रालय के अधीन डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) ने अलग-अलग जांच के बाद इस शुल्क को लगाने की सिफारिश की। जांच में पाया गया कि सस्ते आयात के कारण घरेलू उत्पादकों को नुकसान हो रहा था। विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका की उच्च शुल्क नीति के कारण कई देश अपने उत्पाद भारत जैसे बाजारों में भेज रहे हैं। इससे डंपिंग की आशंका बढ़ रही है। इसी स्थिति में घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए भारत इस तरह के कदम उठा रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत, चीन और वियतनाम—तीनों ही देश विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्य हैं। WTO के नियमों के तहत ही यह एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है।
एंटी-डंपिंग ड्यूटी क्या है?
एंटी-डंपिंग ड्यूटी वह शुल्क है, जो विदेश से बहुत कम कीमत पर आने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है। जब किसी देश को लगता है कि सस्ते आयात से उसका घरेलू उद्योग प्रभावित हो रहा है, तब यह शुल्क लगाया जाता है। इसका उद्देश्य व्यापार में संतुलन बनाए रखना और घरेलू उत्पादकों को समान प्रतिस्पर्धा का अवसर देना है।