नई दिल्ली: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने फर्जी कर कटौती दावों पर अंकुश लगाने के लिए अपने डेटा-आधारित प्रयासों को तेज कर दिया है। शनिवार को जारी वित्त मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार बोर्ड ने दान-आधारित छूटों के व्यापक दुरुपयोग का पता चलने के बाद करदाताओं को गलत दाखिल रिटर्न में सुधार करने की चेतावनी दी है।
कर प्राधिकरण ने हाल ही में उन कई बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिन्होंने कटौती और छूट के झूठे दावों के साथ आयकर रिटर्न दाखिल किए थे। अधिकारियों ने पाया कि कुछ बिचौलियों ने देशभर में एजेंटों का नेटवर्क बनाया था, जो कमीशन के बदले गलत दावों के साथ रिटर्न दाखिल कर रहे थे। जांच में यह भी सामने आया कि कई लोगों ने पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) या कुछ चैरिटेबल संस्थानों को कथित दान दिखाकर अपनी कर देनदारी कम की और अनुचित रिफंड भी मांगा। प्रवर्तन कार्रवाई के दौरान सीबीडीटी ने पाया कि कई RUPPs या तो रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे थे या अपने पंजीकृत पते पर सक्रिय नहीं थे अथवा किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं थे। साक्ष्यों से पता चला कि इन संस्थाओं का उपयोग धन के रूटिंग, हवाला गतिविधियों, सीमा-पार धन प्रेषण और फर्जी दान रसीदें जारी करने के लिए किया जा रहा था। कुछ RUPPs और ट्रस्टों पर की गई अनुवर्ती तलाशी में ऐसे साक्ष्य मिले, जो व्यक्तियों द्वारा किए गए फर्जी दान और कंपनियों द्वारा दिखाए गए नकली कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) योगदान की ओर इशारा करते हैं।
सीबीडीटी ने संदिग्ध दावों का शुरुआती चरण में पता लगाने और उच्च-जोखिम वाले व्यवहार पैटर्न की पहचान के लिए अपनी डेटा-आधारित निगरानी को और मज़बूत किया है। ऐसा ही एक पैटर्न उन करदाताओं से जुड़ा पाया गया, जिन्होंने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GGC या 80G के तहत कटौती का दावा किया था। डेटा विश्लेषण से संकेत मिला कि कई करदाताओं ने या तो संदिग्ध संस्थाओं को दान दिखाया या फिर उन संस्थाओं की वास्तविकता सत्यापित करने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। इसके बाद बड़ी संख्या में करदाताओं ने चालू आकलन वर्ष 2025-26 के लिए अपने रिटर्न संशोधित किए हैं और पिछले वर्षों के लिए अद्यतन रिटर्न दाखिल किए हैं।
करदाताओं को अपनी गलतियाँ सुधारने में मदद के लिए विभाग ने लक्षित NUDGE अभियान शुरू किया है। 12 दिसंबर 2025 से करदाताओं के पंजीकृत मोबाइल नंबरों और ईमेल पतों पर एसएमएस और ईमेल के माध्यम से परामर्श संदेश भेजे जा रहे हैं, जिनमें उनसे अपने रिटर्न अपडेट करने और किसी भी गलत दावे को वापस लेने का आग्रह किया जा रहा है।