सेंसेक्स-निफ्टी ने बनाया रिकॉर्ड लेकिन निवेशकों में चिंता बरकरार

मिड और स्मॉल कैप शेयरों में लगातार उतार-चढ़ाव, रिटेल इन्वेस्टर्स के पोर्टफोलियो में दबाव।

By रिनिका रॉय चौधरी, Posted by: श्वेता सिंह

Dec 11, 2025 19:47 IST

मुंबईः लगातार 14 महीनों के बाद, स्टॉक मार्केट के दो प्रमुख इंडेक्स, सेंसेक्स और निफ्टी 50, नवंबर 2024 में ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गए। इसके बाद हालांकि सेंसेक्स और निफ्टी में थोड़ी गिरावट आई है, लेकिन कुल मिलाकर मार्केट कंसोलिडेशन मोड में है। नतीजतन, कुछ एक्सपर्ट्स इन दो मेन इंडेक्स को लेकर पॉजिटिव नजरिए रखते हैं। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सेंसेक्स और निफ्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन कुछ रिटेल इन्वेस्टर्स के पोर्टफोलियो अभी भी रेड जोन में हैं। इससे इन्वेस्टर्स के मन में चिंता पैदा हुई है।

जानकारी के मुताबिक, पिछले साल दर्जनों कंपनियों के शेयरों ने कुछ ही महीनों में मल्टीबैगर रिटर्न दिया। उस समय, कई शेयर ओवरवैल्यूड स्तर तक भी पहुंच गए थे। इन्वेस्टर्स का एक बड़ा हिस्सा इस वजह से सतर्क हो गया। नतीजतन, सितंबर 2024 में ऑल-टाइम हाई पर पहुंचने के बाद से सेंसेक्स और निफ्टी नीचे की ओर ट्रेंड कर रहे हैं। इसके साथ ही मिड और स्मॉल कैप शेयरों की लगातार ग्रोथ को भी झटका लगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिड, स्मॉल और माइक्रो कैप कंपनियों के शेयर अब पहले की तरह तेजी से नहीं लौट पाए हैं।

मार्केट एक्सपर्ट फर्म एस इक्विटी की रिपोर्ट के अनुसार, NSE500 इंडेक्स में 500 में से 320 कंपनियों के शेयर इस साल अपने रिकॉर्ड हाई के करीब भी नहीं पहुंचे हैं। इनमें से कई कंपनियों के शेयर जो 2024 में बढ़े थे, इस साल पूरी तरह से पीछे रह गए हैं। नतीजतन, सेंसेक्स और निफ्टी में कुल बढ़ोतरी के बावजूद, इन्वेस्टर्स के बड़े हिस्से को उनके निवेश का फायदा नहीं मिला।

एक्सपर्ट्स का दावा है कि इस साल निफ्टी में तेजी का कारण वेटेज है। सेंसेक्स और निफ्टी50 जैसे कई इंडेक्स में कुछ कंपनियों का वेटेज अधिक होता है। उदाहरण के लिए, HDFC बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ICICI बैंक, भारती एयरटेल, ITC, SBI समेत आठ कंपनियों के शेयरों का निफ्टी में लगभग 50% वेटेज है। हाल ही में इन आठ कंपनियों के शेयरों में आई तेजी निफ्टी की तेजी का मुख्य कारण रही है। नतीजतन, भले ही कई कंपनियों के शेयर अंडरपरफॉर्म कर रहे हों, निफ्टी में तेजी जारी रहने की संभावना है।

ज़्यादातर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव के बावजूद, लॉन्ग टर्म में बुल मार्केट की संभावना है। उनका कहना है कि दिसंबर के पहले हफ्ते तक, भारत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मार्केट में शामिल है। हालांकि, अगले कुछ क्वार्टर में अलग-अलग कंपनियों के इनकम और खर्च के नतीजे महत्वपूर्ण होंगे, जो अंडरपरफॉर्मिंग शेयरों में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकते हैं।

ध्यान देने वाली बात यह है कि फाइनेंशियल ईयर 2020-21 से 2023-24 तक, कई लीडिंग कंपनियों के क्वार्टरली रिजल्ट्स 24% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट से बढ़े। इससे निफ्टी की ग्रोथ में मदद मिली। कोविड महामारी के कारण, मार्च 2020 के आखिर में निफ्टी 7,511 पॉइंट्स तक गिर गया था। वहां से रिकवर होकर इंडेक्स सितंबर 2024 में 26,216 पॉइंट्स के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा। हालांकि, पिछले फाइनेंशियल ईयर के दूसरे हाफ में निफ्टी में लगभग 6% की गिरावट आई। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि मार्केट की हैवीवेट कंपनियों के रिजल्ट्स स्ट्रीट की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, जिससे सेंसेक्स-निफ्टी में गिरावट आई। हालांकि नवंबर 2024 में निफ्टी फिर से ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के वीके विजयकुमार का कहना है, ‘फिलहाल, स्टॉक मार्केट रिकवरी प्रोसेस में है। इस फाइनेंशियल ईयर और अगले फाइनेंशियल ईयर में कई कंपनियों के शेयरों में 10%–15% की ग्रोथ की संभावना है। जिन लार्जकैप और मिडकैप कंपनियों के शेयर के फंडामेंटल मजबूत हैं, उनमें ग्रोथ देखने को मिल सकती है। इसके अलावा 2026 के आखिर तक निफ्टी 30,000 पॉइंट्स तक पहुंचने की संभावना है।’

(समाचार एई समय, किसी को भी ऑनलाइन इन्वेस्ट करने की सलाह नहीं देता। शेयर मार्केट या किसी भी फील्ड में निवेश रिस्क के अधीन है। निवेश से पहले सही स्टडी और एक्सपर्ट की सलाह लेना जरूरी है। यह खबर एजुकेशनल और अवेयरनेस के मकसद से प्रकाशित की गई है।)

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