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व्यावसायिक मूल्य निर्धारण के पुनर्विचार में ब्रांड रणनीति के नए केंद्र के तौर पर उभर रहा है AI

जो चीज कभी सिर्फ एक सपोर्टिंग टूल की तरह इस्तेमाल होती थी वह अब व्यावसायिक रणनीतियों के निर्धारण में फैसलों को प्रभावित करने लगी है और ज्यादातर मामलों में इसका इस्तेमाल अच्छे तरीकों में ही होता है।

By Shrey Banerjee, Posted By : Moumita Bhattacharya

Dec 15, 2025 15:39 IST

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब वह चीज नहीं रही जो कभी लोगों की पहुंच से दूर हुआ करती थी। पिछले एक साल के दौरान इसने चुपके से और कभी बहुत ही नाटकीय रूप से यह बदलाव लाया है कि ब्रांड अपने उपभोक्ताओं को कैसे समझते हैं, अपने उत्पादों को कैसे बनाते हैं और खुद को ऐसे मार्केट में कैसे खड़ा करते हैं जो अब रियल टाइम में बदलता रहता है।

जो चीज कभी सिर्फ एक सपोर्टिंग टूल की तरह इस्तेमाल होती थी वह अब व्यावसायिक रणनीतियों के निर्धारण में फैसलों को प्रभावित करने लगी है और ज्यादातर मामलों में इसका इस्तेमाल अच्छे तरीकों में ही होता है।

सभी उद्योगों में कंपनियां यह देख रही हैं कि AI का सबसे बड़ा असर इसके नयापन में नहीं बल्कि स्पष्टता में है। जो विपणक (Marketers) लंबे समय से कहानी सुनाने को अपना मुख्य काम मानते आ रहे हैं उनके लिए यह समय एक नए नजरिए से सोचने का है। ब्रांड अब सिर्फ कम्युनिकेशन से नहीं बनता बल्कि यह तेजी के साथ रास्ते में आने वाली मुश्किलों और इन्हें दूर करने के दौरान मिलने वाले अनुभवों से बढ़ता है। इस लिहाज से AI का रोल सहज ज्ञान को बदलना नहीं बल्कि उसे और बेहतर बनाना है जिससे बिजनेस उस रफ्तार से फैसले ले सकें जिस रफ्तार से उपभोक्ता आगे बढ़ते जा रहे हैं।

टाटा स्टील लिमिटेड के चीफ सर्विसेज एंड सॉल्यूशंस (प्रवेश बिजनेस) अनिमेष रॉय से यह पूछा गया कि ब्रांड रणनीति में AI एक अहम कारक के तौर पर कैसे उभर रहा है, उन्होंने कहा, "एक ब्रांड एक वादा होता है। AI रियल-टाइम डाटा में छिपे उपभोक्ताओं के संबंध में जानकारियों का पता लगाता है। इससे ब्रांड्स लाखों लोगों के लिए अपने वादों को तुरंत उनके हिसाब से बदल पाते हैं, जिससे ब्रांड के प्रति बड़े पैमाने पर मजबूत निष्ठा और जुड़ाव बनता है।"

उन्होंने आगे कहा, “AI डाटा पर आधारित फैसले तेजी से लेने में मदद करता है, जिसमें सामान्य तौर पर ज्यादा समय लगता है। उदाहरण के लिए बैंकिंग सेक्टर में AI बड़े डाटासेट में गड़बड़ियों की पहचान करके रिस्क असेसमेंट और फ्रॉड डिटेक्शन में मदद करता है। इससे वित्तीय नुकसान को रोका जा सकता है और उपभोक्ताओं का भरोसा बनाया जा सकता है।”

महत्व, प्रासंगिकता और इंटेलिजेंस के साथ आने वाली नई जिम्मेदारियों से जुड़े ये सवाल 17 दिसंबर को होने वाले CII ब्रांड कॉन्क्लेव 2025 के केंद्र में होंगे। वक्ताओं में डॉ. एरिक जोआचिमस्टेलर भी शामिल हैं, जो ब्रांड स्ट्रेटेजी पर दुनिया के सबसे सम्मानित विचारकों में से एक हैं।

जोआचिमस्टेलर लंबे समय से यह तर्क देते रहे हैं कि ब्रांड्स को सिर्फ लुभावने मैसेज बनाने के बजाय लोगों की जिंदगी में असली महत्व बनानी चाहिए। इस साल भारत में उनकी मौजूदगी खास तौर पर बिल्कुल सही समय पर हो रही है जब संगठन इस बात से जूझ रहे हैं कि टेक्नोलॉजिकल क्षमता को मकसद-आधारित विकास के साथ कैसे मिलाया जाए।

कुचीना होममेकर की मैनेजिंग डायरेक्टर नमित बाजोरिया ने कहा, "AI बिजनेस के मैक्रो और माइक्रो दोनों स्तरों पर महत्व को अनलॉक कर रहा है। सीनियर लीडर्स अब हर फैसले में ज्यादा डाटा और ज्यादा आयामों को शामिल करके उत्पाद, कीमत और बड़े पैमाने पर नवाचार को फिर से सोचने के लिए AI का इस्तेमाल कर रहे हैं।"

बाजोरिया ने आगे कहा, "लेकिन असली सफलता छोटे-छोटे कामों में हो रहे सूक्ष्म मूल्य निर्माण में है, जो पहले दिखाई नहीं देते थे या जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता था। जब हर इंसान AI की मदद से हर छोटी समस्या को हल कर सकता है तो इसका कुल असर अक्सर कुछ बड़ी पहलों के मूल्य से ज्यादा होता है।"

बोर्डरूम में होने वाली बातचीत में जो बात सामने आयी है वह यह है कि AI कंपनियों को इस बात पर ज्यादा ईमानदारी से सोचने पर मजबूर कर रहा है कि उपभोक्ता असल में क्या चाहते हैं। सिर्फ अंदाजों या पुराने रिसर्च तरीकों पर निर्भर रहने के बजाय, अब कंपनियां असली व्यवहार को देखने, छिपी हुई प्रेरणाओं का पता लगाने और सटीकता से जवाब देने में सक्षम हैं। हालांकि यह कंपनी के प्रमुखों के सामने एक नई मांग भी खड़ा कर रहा है : डाटा के इस्तेमाल में पारदर्शिता, भेदभाव के प्रति संवेदनशीलता और ऐसे समय में भरोसे की रक्षा करने की नई प्रतिबद्धता जब ऑटोमेशन इसे आसानी से खत्म कर सकता है।

भारत के कारोबार खासकर कंज्यूमर-फेसिंग सेक्टर में AI को अब खर्च बचाने के तरीके के बजाय लंबी दूरी में ब्रांड बनाने की नींव के तौर पर देखा जा रहा है।

ITC PCPB के वाइस प्रेसिडेंट मार्केटिंग, संजय श्रीनिवास ने कहा, “जीतने की रणनीति बनाने के लिए उपभोक्ताओं को गहराई से समझना, अपने प्रतियोगी फायदे की मजबूत समझ और मार्केट किस दिशा में जा सकता है, इस पर भविष्य की सोच जरूरी है। AI एप्लीकेशन के साथ उपभोक्ता ट्रेंड्स को एनालाइज करने और बार-बार समाधान बनाने की क्षमता काफी ज्यादा हो जाती है। इसका इस बात पर गहरा असर पड़ेगा कि अलग-अलग स्टेकहोल्डर ब्रांड की रणनीति विकसित करने और लागू करने के लिए कैसे मिलकर काम करते हैं।”

अब मकसद सिर्फ संचालन को डिजिटाइज करना नहीं है बल्कि महत्व कैसे बनाई और डिलीवर की जाती है इसे भी नए सिरे से डिजाइन करने की है। जिन कंपनियों को सफलता मिलेगी उनमें वैसी शामिल होंगी जो AI को महत्वाकांक्षा और संयम दोनों के साथ अपनाएंगी। इसकी संभावनाओं को अपनाते हुए यह भी मानेंगी कि AI इंसान के फैसले की जगह नहीं ले सकता।

जैसे-जैसे CII ब्रांड कॉन्क्लेव 2025 नजदीक आ रहा है इंडस्ट्री के लोगों में निश्चितता के बजाय जिज्ञासा का माहौल है। हो सकता है AI के पास सभी जवाब न हों लेकिन इसने प्रासंगिकता, लचीलापन और प्रतियोगिता के भविष्य के स्वरूप के बारे में सही सवाल पूछना शुरू कर दिया है। जो ब्रांड इस बदलाव से गुजर रहे हैं उनके लिए पूछताछ में यह बदलाव ही सबसे महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है।

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