केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को आयोजित इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि विश्व वाणिज्य की प्रकृति तेजी से बदल रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि टैरिफ और अलग-अलग नीतियों का इस्तेमाल 'हथियार' के तौर पर किया जा रहा है। सीतारमण ने कहा कि इस स्थिति में भारत को बहुत सावधानी से कदम उठाना होगा। आज अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पहले जैसा नहीं रहा और इस बदलते हालात में भारत को ज्यादा बारीक और मजबूत रणनीति अपनानी होगी।
भारत को बरतनी पड़ेगी सावधानी
अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने कहा कि सिर्फ टैरिफ ही नहीं बल्कि भारत की पूरी इकोनॉमिक ताकत भविष्य में देश का सबसे बड़ा कुटनीतिक और कमर्शियल टूल बनेगी। आज टैरिफ और कई दूसरे तरीकों से व्यापार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में भारत को बहुत सावधानी से बातचीत करनी होगी।
निर्मला सीतारमण का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था की नींव जितनी मजबूत होगी, बातचीत के समय देश की स्थिति उतनी ही मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय अब पहले की तरह मुक्त और उचित ढांचे तक ही सीमित नहीं है।
दोहरापन बनता जा रहा है न्यू नॉर्मल
निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत को अक्सर 'इनवर्ट लुकिंग' या बहुत ज्यादा कंजर्वेटिव होने की बात कही जाती है और उसे 'टैरिफ किंग' का लेबल दिया जाता है। असलियत में भारत का इरादा कभी भी टैरिफ को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का नहीं था। भारत ने असल में अपनी घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए जरूरी टैरिफ उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि इस टैरिफ प्रक्रिया ने तब ढाल का काम किया है जब देश के बाजार में विदेशी उत्पादों के ज्यादा आने की वजह से घरेलू उद्योगों को नुकसान होने का खतरा पैदा हुआ है।
सीतारमण ने आगे कहा कि अभी ट्रेड नीति को 'हथियार' की तरह इस्तेमाल करने की बात को लगभग बिना कोई सवाल उठाए ही मान लिया गया है। कुछ देश खुलेआम कहते हैं कि टैरिफ ठीक नहीं हैं और किसी भी देश को यह रास्ता नहीं अपनाना चाहिए लेकिन वही देश अचानक नई टैरिफ दीवारें खड़ी कर देते हैं। इस बारे में ज्यादा बात भी नहीं की जा रही है। उनके मुताबिक यह दोहरापन असल में न्यू नॉर्मल बन गया है।
गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ज्यादा टैरिफ और भू-राजनैतिक तनाव की वजह से विश्व वाणिज्य भारी उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। अमेरिका द्वारा हाल ही में लगाए गए ज्यादा टैरिफ का अंतर्राष्ट्रीय मार्केट पर बड़ा असर पड़ा है।
वहीं मेक्सिको ने भी ऐलान किया है कि वह उन देशों पर कड़े टैरिफ लगा सकता है जिनके साथ उसके मुक्त वाणिज्य करार नहीं हैं। इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री का बयान साबित करता है कि भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए संतुलन बनाए रखना और अपने हितों की रक्षा करना कितना जरूरी है।