नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है, जिसमें समूह ने अपनी 88 प्रमुख संपत्तियाँ अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति मांगी है। अदालत ने केंद्र सरकार को मामले पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सहारा समूह ने कई सहकारी समितियाँ बनाई थीं, जो इस फैसले से प्रभावित हो सकती हैं। इसके बाद पीठ ने सहकारिता मंत्रालय को भी मामले में शामिल करने का आदेश दिया।
अमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफ़ाडे ने कोर्ट में नोट पेश करते हुए बताया कि उन्हें सहारा की बेचने योग्य संपत्तियों को लेकर भारी संख्या में आपत्तियाँ मिली हैं। उन्होंने विशेष तौर पर 34 संपत्तियों पर विस्तृत आपत्तियाँ दायर की हैं।
सहारा समूह बोला — “कई संपत्तियां फर्जी दस्तावेज़ों पर बेची गईं”
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अमिकस के नोट पर जवाब दाखिल करने की अनुमति मांगी।
उन्होंने कहा कि सहारा समूह की कई संपत्तियाँ फर्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर बेची या लीज पर दी गईं, जिनकी जांच आवश्यक है।
अदालत ने कहा कि ऐसे दस्तावेजों की जांच ट्रायल कोर्ट या किसी विशेष समिति के ज़रिए होनी चाहिए।
अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि पहले भारत सरकार अपना जवाब दाखिल करे, उसके बाद इन बिंदुओं पर विचार होगा।
अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।
14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, सेबी और अन्य हितधारकों से सहारा की उस याचिका पर प्रतिक्रिया मांगी थी, जिसमें उन्होंने अपनी 88 प्रमुख संपत्तियों को अडानी समूह को बेचने की अनुमति मांगी थी।