जीवन बीमा हो या स्वास्थ्य बीमा—दोनों क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि और रुचि देखने को मिल रही है। बीमा पर जीएसटी हटाए जाने के बाद से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, ऐसा हाल ही में बीमा नियामक संस्था इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के एक सदस्य दीपक सूद ने बताया।
जीवन और स्वास्थ्य बीमा—दोनों में तेज बढ़ोतरी
पिछले 22 सितंबर को बीमा पर जीएसटी दर शून्य करने का फैसला लागू होने के बाद से इस उद्योग में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। ऐसा उनका मानना है। दिल्ली में उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दीपक ने कहा, “सरकार ने बीमा को आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल करने जैसा महत्व दिया है। अब इस अवसर का उपयोग कर कवरेज को और बढ़ाने की ज़िम्मेदारी बीमा कंपनियों की है।”
उन्होंने बताया कि जीएसटी में कमी का पूरा लाभ हर ग्राहक तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करना होगा। अक्टूबर में जिस तरह बीमा खरीदने की प्रवृत्ति देखी गई है, उससे आगामी दिनों में इस क्षेत्र की स्थिति का संकेत मिलता है। जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा-दोनों में ही उल्लेखनीय वृद्धि और रुचि दिखाई दे रही है।
बीमा कवरेज पर अभी भी काम की जरूरत
सामान्यतः किसी भी वित्त वर्ष के अंतिम छह महीनों में बीमा की मांग बढ़ती है। इसलिए आने वाले महीनों में और अच्छे परिणाम की उम्मीद है। बीमा क्षेत्र का विस्तार कितना हुआ है, इसका आकलन करते समय केवल GDP के संदर्भ में प्रीमियम संग्रह की तुलना करने से भ्रम पैदा हो सकता है, ऐसा दीपक का मानना है।
भारत में बीमा ग्राहकों की संख्या वर्तमान में विश्व औसत के आधी है, लेकिन कितने लोग जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आए हैं—इसे ही वास्तविक संकेतक माना जाना चाहिए, ऐसा उन्होंने कहा।
दीपक ने कहा, भारत की GDP तेजी से बढ़ रही है और 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। इसकी तुलना में बीमा प्रीमियम का स्तर अभी भी अपेक्षाकृत कम है, यह वास्तविकता सभी को स्वीकार करनी चाहिए।
प्राकृतिक आपदाओं के लिए विशेष बीमा योजना की जरूरत
हाल के समय में अलग-अलग हिस्सों में घटित प्राकृतिक आपदाओं का उल्लेख करते हुए सूद ने कहा, “इन घटनाओं के जोखिम से निपटने के लिए अलग बीमा योजनाएं तैयार करने का समय आ गया है। कई घटनाएं भले बड़ी न दिखें, लेकिन जिन लोगों को उनका सीधा नुकसान होता है, उनके लिए यह बड़ी त्रासदी होती है—इस बात को ध्यान में रखना होगा।”
तकनीक से सस्ते और पारदर्शी बीमा की वकालत
डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेज विकास और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे सिस्टम भविष्य में साइबर जोखिम बढ़ाएंगे, इस बारे में सूद ने पहले से चेतावनी दी। उनका मानना है कि इसके लिए साइबर बीमा योजनाएं लाने और ग्राहक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। ग्राहकों को सस्ती बीमा योजनाएं उपलब्ध कराने और गलत तरीके से बेचने (मिससेलिंग) को रोकने के लिए तकनीक के अधिकतम उपयोग की वकालत भी उन्होंने की।
राज्य-आधारित बीमा योजनाओं और वाहनों के बीमा पर विशेष ज़ोर देते हुए उन्होंने बताया कि देश की सड़कों पर चलने वाले 55% वाहनों का बीमा नहीं है। इसके कारण हर साल लगभग 4 लाख दुर्घटनाओं का बोझ अंततः सरकारी खजाने को उठाना पड़ता है।