भारत ने अमेरिका से लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) आयात करने के लिए समझौता किया है। भारत के कई सरकारी उपक्रमों ने इस संबंध में तीन अमेरिकी कंपनियों के साथ समझौता किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस समझौते की जानकारी सबसे पहले दी। सोमवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस समझौते की जानकारी एक्स हैंडल पर दी।
केंद्रीय मंत्री ने एक्स हैंडल पोस्ट में लिखा, “इतिहास में पहली बार। दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एलपीजी बाजार अमेरिका के लिए खुल गए। हमने एलपीजी सोर्सिंग में विविधता लाई। भारतीय जनता के लिए एलपीजी की आपूर्ति और अधिक सुरक्षित हुई।” केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने यह भी बताया कि भारत जिस मात्रा में एलपीजी आयात करता है उसका 10 प्रतिशत अमेरिका से आएगा। 2026 में 22 लाख टन एलपीजी आयात किया जाएगा।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड यह एलपीजी अमेरिका से आयात करेंगे। इन तीन सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधि हाल ही में अमेरिका गए थे। वहां की शीर्ष एलपीजी उत्पादक कंपनियों के साथ बातचीत के बाद यह समझौता हुआ। अमेरिकी कंपनियाँ शेवरॉन, फिलिप्स 66 और टोटल एनर्जीज़ भारत में एलपीजी सप्लाई करेंगी। इसे भारत भेजने के लिए 48 बहुत बड़े गैस कैरियर्स का इस्तेमाल किया जाएगा।
भारत में इस्तेमाल होने वाले एलपीजी का बड़ा हिस्सा विदेश से आयात किया जाता है। 2024 में भारत ने अपनी जरूरत का 65 प्रतिशत एलपीजी बाहर से आयात किया था। मुख्यतः पश्चिम एशियाई देशों से भारत एलपीजी खरीदता था। अब इस सूची में अमेरिका का नाम भी जुड़ गया है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर चर्चा चल रही है। रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाया था। रूस से तेल खरीद बंद करने के लिए भारत पर लगातार दबाव बढ़ाया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में एलपीजी से संबंधित यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के मार्ग को और व्यापक बनाएगा।