अनिल अंबानी दूसरी बार ED के समन पर नहीं हुए पेश, कहा– वर्चुअल बयान देने को तैयार

FEMA केस से जुड़ी 15 साल पुरानी जांच, जयपुर–रींगस हाईवे प्रोजेक्ट में फंड के दुरुपयोग का आरोप

By श्वेता सिंह

Nov 17, 2025 19:32 IST

रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन का दूसरी बार पालन नहीं किया। सोमवार को उन्हें पेश होना था, लेकिन बिजनेसमैन ने एक बार फिर कहा कि वे एजेंसी के सामने वर्चुअल अपीयरेंस या रिकॉर्डेड वीडियो बयान देने के लिए तैयार हैं।

वे 14 नवंबर को भी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए थे। उस समय भी उन्होंने यही पेशकश की थी जिसे ED ने ठुकरा दिया। इसके बाद उन्हें 17 नवंबर को दोबारा समन भेजा गया था।

क्या तीसरा समन भेजेगी ED?

पीटीआई की खबर के मुताबिक, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ED अब अनिल अंबानी को तीसरा समन जारी करेगी या नहीं। FEMA कानून के तहत कार्रवाई सिविल नेचर की होती है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग कानून में आपराधिक प्रावधान होते हैं।

अनिल अंबानी का बयान

एक प्रवक्ता ने कहा — “अनिल डी. अंबानी किसी भी तारीख और समय पर ED द्वारा उपयुक्त समझे गए समय पर वर्चुअल अपीयरेंस या रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए तैयार हैं।” सूत्रों के अनुसार, ED चाहती है कि अंबानी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों और बयान दर्ज कराएं।

किस मामले में हो रही है कार्रवाई? ED का दावा

पीटीआई की खबर में यह बताया गया है कि , यह जांच जयपुर–रींगस हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़ी है। ED ने हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग केस में अंबानी और उनकी कंपनियों की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है। प्रोजेक्ट से 40 करोड़ रुपये की 'साइफनिंग' की गई। यह पैसा सूरत की शेल कंपनियों के जरिए दुबई भेजा गया। जांच में 600 करोड़ रुपये से अधिक का अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क सामने आया है। एजेंसी ने कई कथित हवाला ऑपरेटरों के बयान दर्ज किए हैं, जिनके बाद अनिल अंबानी को समन भेजने का निर्णय लिया गया।

कंपनी का पक्ष: “मामला 15 साल पुराना, विदेशी मुद्रा का कोई लिंक नहीं”

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का बयान: “मामला 2010 का है और एक रोड कॉन्ट्रैक्टर से जुड़े विवाद पर आधारित है।” 2010 में कंपनी ने JR टोल रोड (जयपुर–रींगस) निर्माण के लिए EPC कॉन्ट्रैक्ट दिया था। “यह पूरी तरह घरेलू प्रोजेक्ट था, जिसमें किसी विदेशी मुद्रा लेनदेन की भूमिका नहीं थी।” यह सड़क 2021 से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के पास है।

कंपनी ने स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी कंपनी के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक सिर्फ नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहे। “वे कंपनी के दैनिक प्रबंधन में शामिल नहीं थे।” पहले भी ED की पूछताछ का सामना कर चुके हैं अनिल अंबानी। अंबानी को इससे पहले 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक फ्रॉड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक बार ED ने पूछताछ के लिए बुलाया था।

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