नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 1,452.51 करोड़ रुपये की नई संपत्तियां कुर्क की हैं। एजेंसी ने बताया कि इन संपत्तियों पर PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत अस्थायी अटैचमेंट आदेश जारी किया गया है।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कुर्क की गई संपत्तियों में धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC), नवी मुंबई के कई भवन, मिलेनियम बिजनेस पार्क के प्रॉपर्टीज और पुणे, चेन्नई व भुवनेश्वर में स्थित प्लॉट व इमारतें शामिल हैं।
रिलायंस ग्रुप का बयानः “RCOM से 2019 के बाद कोई संबंध नहीं”
कार्रवाई के तुरंत बाद Reliance Group की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अटैच की गई ये सभी संपत्तियां RCOM की हैं जो पिछले छह वर्षों से दिवालिया प्रक्रिया में है।
समूह ने यह भी स्पष्ट किया कि “अनिल डी. अंबानी का RCOM से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने 2019 में ही पद छोड़ दिया था।”
ED—RCOM पर भारी वित्तीय अनियमितता के आरोप
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने आरोप लगाया है कि RCOM और उसकी समूह कंपनियों ने वर्ष 2010–2012 के दौरान देशी और विदेशी बैंकों से लिए गए लोन का गलत इस्तेमाल किया। एजेंसी के अनुसार: कुल 40,185 करोड़ रुपये का लोन बकाया था। 9 बैंकों ने लोन खातों को “फ्रॉड” घोषित किया। एक कंपनी का लोन दूसरी कंपनी के लोन चुकाने में इस्तेमाल हुआ। कई लेनदेन शर्तों का उल्लंघन करते थे।
ED की जांच में नये खुलासे
13,600 करोड़ रुपये लोन “एवरग्रीनिंग” में लगाए गए। 12,600 करोड़ रुपये संबंधित पक्षों को ट्रांसफर किए गए। इसके अलावा 1,800 करोड़ रुपये FDs और म्यूचुअल फंड में निवेश कर बाद में समूह कंपनियों को रूट किया गया। एजेंसी ने “बिल डिस्काउंटिंग के माध्यम से बड़े पैमाने पर फंड डायवर्जन” और “विदेशों में धन भेजने” के भी आरोप लगाए।
इस मामले में ED पहले ही 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच कर चुका है। नए आदेश के बाद कुल राशि बढ़कर 8,997 करोड़ रुपये हो गई है।
Reliance Infra और Reliance Power ने कहा कि “ऑपरेशंस पर कोई असर नहीं”
ग्रुप की ओर से कहा गया कि नई अटैचमेंट का Reliance Infrastructure या Reliance Power के संचालन, प्रदर्शन या भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
दोनों कंपनियां सामान्य रूप से कार्यरत हैं और 50 लाख से अधिक शेयरधारकों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। समूह ने स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी पिछले साढ़े तीन वर्षों से इन दोनों कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल नहीं हैं।
ED अगस्त में अनिल अंबानी से इस केस में पूछताछ कर चुका है। अब एक फॉरेन एक्सचेंज वायलेशन केस में भी उन्हें दोबारा समन भेजा गया है।