भारतीय रेलवे यात्री परिवहन के लिए कई तरह की सेवाएं देता है। इसी तरह भारतीय रेलवे के पास सामानों के परिवहन के लिए कई सुविधाएं हैं। देश के एक छोर से दूसरे छोर तक मालगाड़ियों के जरिए कई तरह के सामानों की सप्लाई की जाती है। रेलवे इसके लिए एक तय दर से किराया लेता है। सामानों के परिवहन से हर साल रेलवे के खजाने में बड़ी रकम आती है। हाल ही में रेलवे ने सीमेंट परिवहन के मामले में किराए में बदलाव किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में इस बदलाव की घोषणा की।
अब दूरी या क्वांटिटी नहीं, हर जगह एक जैसा किराया
सीमेंट देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बेहद जरूरी है। इसी को आसान और सस्ता बनाने के लिए रेलवे ने सीमेंट परिवहन के किराए में बड़ा बदलाव किया है। पहले सीमेंट ढुलाई पर किराया इस आधार पर तय होता था कि सामान कितनी दूरी तक ले जाया जा रहा है और कितनी मात्रा भेजी जा रही है। मतलब ये कि 200 किमी और 210 किमी की दूरी पर भी अलग-अलग रेट लागू होते थे। लेकिन नई व्यवस्था में रेलवे ने एक समान रेट लागू कर दिया है। अब सीमेंट ढुलाई पर 90 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर का ही शुल्क लगेगा, चाहे दूरी कितनी भी हो।
मिडिल क्लास को राहत, कंस्ट्रक्शन खर्च में 30% तक कमी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह पॉलिसी मिडिल क्लास को ध्यान में रखकर लाई गई है। नई दरों की वजह से कंस्ट्रक्शन मटीरियल एक जगह से दूसरी जगह कम कीमत में पहुंचेगा। ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में 30% तक की कमी आ सकती है। इससे घर बनाना, दुकान बनाना या किसी भी छोटे-मोटे निर्माण काम की लागत कम हो जाएगी।
रेलवे को भी बढ़ेगी कमाई
पिछले वित्त वर्ष में देश में जितना भी सीमेंट ट्रांसपोर्ट हुआ, उसका लगभग 17% (87 मिलियन मीट्रिक टन) रेलवे के जरिए भेजा गया था। रेलवे अब इस आंकड़े को और बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। नई एक समान किराया नीति से रेलवे को माल ढुलाई में बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिससे उसकी कमाई भी बढ़ेगी।