नई दिल्ली: भारत के ईंधन विपणन तंत्र में देश के पेट्रोल पंप नेटवर्क ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है। हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में पेट्रोल पंपों की संख्या 1 लाख के आंकड़े को पार कर गई है, जो पिछले एक दशक में लगभग दोगुना हो गई है। समाचार एजेंसी ने बताया कि मुख्य रूप से बढ़ती वाहन मांग को पूरा करने और ग्रामीण व दूरदराज़ के क्षेत्रों में ईंधन की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के आक्रामक के परिणामस्वरूप यह विस्तारित हुआ है।
इस विशाल नेटवर्क के कारण ईंधन विपणन के दृष्टिकोण से भारत अब विश्व में तीसरे स्थान पर आ गया है। केवल अमेरिका और चीन में पेट्रोल पंपों की संख्या इससे अधिक है, हालांकि उन दोनों देशों का भौगोलिक विस्तार भारत की तुलना में कहीं बड़ा है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन बी अशोक के अनुसार इस तेजी से हुए विस्तार ने ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में ईंधन की समस्या काफी हद तक दूर कर दी है। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सेवा की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में कुल पेट्रोल पंपों का लगभग 29 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है, जबकि एक दशक पहले यह आंकड़ा 22 प्रतिशत था। केवल इतना ही नहीं, पेट्रोल और डीज़ल तक ही सेवा सीमित नहीं है लगभग एक-तिहाई पंपों में अब कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) या इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग जैसी वैकल्पिक सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं, जो ईंधन विविधता का संकेत देती हैं।
हालांकि नीतिगत सुधारों के बावजूद निजी कंपनियों की भागीदारी अभी भी सीमित है। देश के कुल पेट्रोल पंपों का 10 प्रतिशत से भी कम निजी कंपनियों के पास है। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के लगभग 2,100 और नायरा एनर्जी के लगभग 6,900 आउटलेट हैं। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि ईंधन के खुदरा दामों पर सरकारी नियंत्रण होने के कारण निजी कंपनियां निवेश में उत्साह नहीं दिखा रही हैं।
पेट्रोल और डीज़ल की मांग बढ़ने के बावजूद पेट्रोल पंप विस्तार के लिए निवेश कितना युक्तिसंगत होगा, इस पर सवाल बना हुआ है। पिछले एक दशक में पेट्रोल की खपत 110 प्रतिशत और डीज़ल की 32 प्रतिशत बढ़ी है। कुल मिलाकर कुल ईंधन उपयोग लगभग 50 प्रतिशत बढ़ गया है। ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष नीतिन गोयल कहते हैं कि शहरों के बाहर कई पंप वित्तीय दृष्टिकोण से टिकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उद्योग जगत का अनुमान है कि भविष्य में इस नेटवर्क का विस्तार रुक सकता है और वैकल्पिक ईंधन सेवाओं को बढ़ाना पंपों की आय का नया मार्ग बन सकता है।