नई दिल्लीः अडानी ग्रुप ने वर्ष 2023 की शुरुआत में शॉर्ट-सेलर आरोपों से उपजे संकट के बाद मजबूत वापसी करते हुए अब तक करीब ₹80,000 करोड़ के 33 अधिग्रहण सौदे पूरे कर लिए हैं। यह संकेत देता है कि समूह की पूंजी तक पहुंच बनी हुई है और उसके कारोबारी विस्तार की रफ्तार स्थिर है।
बाजार के आंकड़ों और कंपनी सूत्रों के मुताबिक, ये अधिग्रहण मुख्य रूप से अडानी ग्रुप के कोर सेक्टरों में किए गए हैं।
किन सेक्टरों में हुआ सबसे ज्यादा निवेश
सबसे ज्यादा निवेश पोर्ट्स सेक्टर में रहा, जहां करीब ₹28,145 करोड़ के सौदे किए गए। इसके बाद
सीमेंट सेक्टर: ₹24,710 करोड़
पावर सेक्टर: ₹12,251 करोड़
नए उभरते व्यवसाय: ₹3,927 करोड़
ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन: ₹2,544 करोड़
हालांकि पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिवालिया प्रक्रिया में चल रहे जयप्रकाश समूह के ₹13,500 करोड़ के प्रस्तावित अधिग्रहण को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
निवेशकों का भरोसा लौटाने की रणनीति
अडानी ग्रुप पर 2023 में अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने गंभीर आरोप लगाए थे, जिन्हें समूह ने सिरे से खारिज किया। इसके बाद ग्रुप ने कर्ज घटाने, इक्विटी निवेश बढ़ाने और पूंजी आवंटन में सख्ती जैसी रणनीतियों पर फोकस किया। विश्लेषकों के अनुसार, पारदर्शिता बढ़ाने और बैंकों व निवेशकों से निरंतर संवाद के चलते फंडिंग तक पहुंच स्थिर हुई है।
बड़े सौदे और सीमेंट सेक्टर की धूम
पिछले तीन वर्षों का सबसे बड़ा सौदा अप्रैल 2025 में हुआ, जब अडानी पोर्ट्स ने ऑस्ट्रेलिया के नॉर्थ क्वींसलैंड एक्सपोर्ट टर्मिनल को ₹21,700 करोड़ में खरीदा।
सीमेंट सेक्टर सबसे ज्यादा सक्रिय रहा
अगस्त 2023: सांघी इंडस्ट्रीज में 56.74% हिस्सेदारी
2024 में पेनना सीमेंट, ओरिएंट सीमेंट समेत कई बड़े अधिग्रहण
2025 में आईटीडी सीमेंटेशन पर नियंत्रण
अडानी ग्रुप ने अगले पांच वर्षों में करीब ₹10 लाख करोड़ के पूंजीगत निवेश की योजना बनाई है। यह निवेश ग्रीनफील्ड, ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट्स और चुनिंदा अधिग्रहणों के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में किया जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि बेहतर बैलेंस शीट और लगातार निष्पादन ने समूह की साख को फिर से मजबूत किया है।