पटना। बिहार में जब भी एनडीए गठबंधन में किसी मुद्दे पर तनाव होता है तब धर्मेंद्र प्रधान ही 'संकट मोचक' बनकर उभरते हैं। इसी वजह से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बिहार का चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिया गया है। इससे पहले कई राज्यों में चुनाव प्रभारी रहते हुए उन्होंने भाजपा को सफलता का स्वाद चखाया है। भाजपा को उम्मीद है कि यूपी, उड़िसा और हरियाणा के बाद धर्मेंद्र प्रधान अब बिहार में भी चुनावी नैया पार लगाने में कामयाब होंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की बिहार के चुनाव प्रभारी के तौर पर तैनाती कर दी गयी है। उनके साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल एवं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सह चुनाव प्रभारी बनाया गया है। जीत हासिल करने के मकसद से ही पार्टी के तीन दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रभारी के तौर पर मैदान में उतारा गया है। इन तीनों नेताओं को संगठन को नियंत्रित करने का अच्छा अनुभव है। प्रधान को बिहार में भाजपा की चुनावी रणनीति बनाने का अच्छा-खासा अनुभव है।
पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का दम
धर्मेंद्र प्रधान 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बिहार भाजपा के प्रभारी थे तब बिहार में भाजपा को बड़ी जीत मिली थी। इसके अलावा भी वे कई मौकों पर पार्टी में महत्वपूर्ण दायित्व संभाल चुके हैं। इससे पहले वे उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में बड़े चुनावी दायित्वों को सही तरीके से संभाले हुए है। भाजपा को यकीन है कि उनकी सूझबूझ और उनकी रणनीति की बदौलत बिहार में एनडीए अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।
मौर्य के भरोसे कुशवाहा वोट
मौर्य को सह प्रभारी बनाकर भाजपा ने आठ प्रतिशत कुशवाहा वोट बैंक को साधने का एक और जुगाड़ किया है। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने कुशवाहा वोट बैंक में थोड़ी-बहुत सेंधमारी कर दी थी।
प्रवासियों को साधेंगे पाटिल
गुजरात में पाटिल की अपनी रसूखदार छवि है। इसके अलावा उन्होंने कई मौकों पर पार्टी को बढ़त दिलाकर अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया है। गुजरात के बड़े उद्यमियों पर पकड़ रखने के कारण भी प्रवासी मतदाताओं के बीच उनकी अच्छी पैठ है।