समाचार एई समय, खड़गपुर : खड़गपुर शहर का मुख्य हिस्सा भारतीय रेलवे का है। यहां गोलबाजार, जनता मार्केट, अनाज मार्केट, प्याज पट्टी जैसे कई बड़े बाजार हैं। लेकिन ऐसी सभी महत्वपूर्ण जगहों पर निकासी नाले की हालत बदहाल बनी हुई है। अगर थोड़ी भी बारिश होती है तो सड़कों पर जलजमाव हो जाता है। सड़कें टूटी हुई हैं जिससे होकर आने-जाने के लिए लोग मजबूर हैं। आरोप है कि इस बारे में रेलवे के पास बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ है।
आरोप लगाया जाता है कि भारतीय रेलवे शहर की निकासी नालों को ठीक करने या सड़क सुधार के मामले में उदासीन है। जबकि किराया रेलवे हमेशा व्यापारियों से ही वसूल रहा है। क्या शहर की निकासी नालियों और सड़कों को सुधारने के बारे में रेलवे कुछ सोच रहा है? इस बारे में रेलवे ने बताया है कि अभी तक कोई योजना निर्धारित नहीं हुई है। लेकिन कहीं पानी जमने की सूचना मिलने या सड़क खराब होने की शिकायत आने पर कदम उठाए जाते हैं।
तो फिर गोलबाजार, निमपुरा, IIT गेट जैसे इलाकों में क्यों पानी जमता है, क्यों लंबे समय से सड़कें बदहाल पड़ी हैं?
यह पूछने पर दक्षिण-पूर्व रेल के खड़गपुर डिवीजन के डीआरएम ललितमोहन पांडे ने दो टूक कहा, 'हम मामले की जांच करके आगे की व्यवस्था करेंगे।' खड़गपुर का सबसे बड़ा बाजार— गोलबाजार है। कई हजार लोग इस बाजार में व्यापार से जुड़े हैं। इसके चारों ओर कई और बाजार भी हैं। लेकिन वर्तमान में वह महत्वपूर्ण इलाका बदहाल है। सड़कें टूट गई हैं। थोड़ी बारिश में ही चारों ओर पानी जमा हो जाता है। खराब रास्तों पर दुर्घटना का खतरा भी बढ़ जाता है।
खड़गपुर प्याज मार्केट के व्यापारी जावेद अहमद का कहना है कि अतिरिक्त पुलिस सुपरिंटेंडेंट के कार्यालय के पास से बाजार के अंत तक सड़क इतनी खराब है कि चलना ही मुश्किल है। जबकि यहां दिन में प्याज से भरे कई ट्रक आते हैं। बारिश होने पर गाड़ी अनलोड करने की परेशानी और बढ़ जाती है। बार-बार रेलवे को बताने पर भी कोई समाधान नहीं मिला।
स्थानीय खरीदार कमल भंडारी कहते हैं कि बरसात के समय बाजार में घुसने से कभी भी पैर फिसलकर गिरने का खतरा बना रहता है। पुरुष तो फिर भी किसी तरह से बाजार से सामान खरीद लेते हैं लेकिन महिलाओं को कितनी समस्याएं होती होंगी, वह बताया नहीं जा सकता।' यही शिकायत खड़गपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के सचिव बजरंग वर्मा की भी है।
वह आरोप लगाते हुए कहते हैं, 'रेल के अधिकारी जिस रास्ते से होकर आते-जाते हैं, रेल सिर्फ उन्हीं सड़कों को ठीक रखता है। लेकिन गोलबाजार की सड़क, चांदनी चौक, जनता मार्केट— जिन रास्तों पर आम लोग, व्यापारी आवाजाही करते हैं, उन सड़कों की ओर रेल देखकर भी अनदेखा करता है। निकासी नाले भी नहीं सुधारे जाते हैं। इसलिए बरसात में हमें बहुत समस्या होती है।'
पिछले कुछ दिनों से गोलबाजार में नई समस्या दिखी है— लोडशेडिंग। बजरंग का कहना है कि लोडशेडिंग के कारण शाम के बाद व्यापार करना कठिन हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि रेल को बताने के बाद भी वे देखते हैं। देखेंगे-देखेंगे कहते हुए चार दिन निकाल दिए। रेल इसी तरह से हमारे सभी मामलों में असहयोग करता है।'
इस इलाके से रेल की अच्छी आय होती है। फिर भी क्यों रेल इस तरह के महत्वपूर्ण बाजार की सड़क, निकासी नाले को लेकर इतना उदासीन है? प्रश्न जरूरी हैं। लेकिन रेल की ओर से टूटे हुए कैसेट की तरह हर बार कहा जा रहा है, 'कोई बड़ी योजना अभी नहीं है। लेकिन समस्या की जानकारी मिलने पर कदम उठाए जाते हैं।'