बिजली के हाई टेंशन तारों के खंभों पर चढ़कर इलाके में घूमते हाथियों से फसलों की रखवाली कर रहे हैं किसान

हाथी भगाने की जिम्मेदारी किसानों को ही उठानी पड़ती है। अपनी मेहनत से उगाए फसल बचाने के लिए कभी टॉर्च लाइट लेकर तो कभी मशाल जलाकर स्थानीय लोग ही हाथियों को भगाने की कोशिश कर रहे हैं।

By देवार्घ्य भट्टाचार्य, Posted By : मौमिता भट्टाचार्य

Oct 27, 2025 14:08 IST

समाचार एई समय, धूपगुड़ी : त्योहारों का मौसम गुजर गया। लेकिन गांवों को खुशी का एहसास कोई नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि त्योहारों के दिन भी हाथियों के आतंक के साए में ही बीते हैं। दुर्गा पूजा तो खत्म हो गयी पर आतंक नहीं गया। हारकर बिजली के टावर पर चढ़कर किसानों को अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है। इन सबके बीच वन विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में है।

हर साल डुअर्स में धान के पकते ही हाथियों का उपद्रव बढ़ जाता है। भोजन की तलाश में कभी अकेला हाथी, कभी हाथियों का पूरा का पूरा झुंड ही गांव में घुस जाता है। इस बार भी वही तस्वीर नजर आ रही है। जलपाईगुड़ी जिले के मातियाली ब्लॉक के खुनिया रेंज के अधीन विभिन्न इलाकों में हाथी आतंक का पर्याय बन गए हैं। शाम होते ही हाथियों का झुंड खेतों में घुस जाता है।

आरोप है कि इस दौरान वनकर्मी कहीं नजर नहीं आते हैं। इसलिए हाथी भगाने की जिम्मेदारी किसानों को ही उठानी पड़ती है। अपनी मेहनत से उगाए फसल बचाने के लिए कभी टॉर्च लाइट लेकर तो कभी मशाल जलाकर स्थानीय लोग ही हाथियों को भगाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बावजूद वे पूरी तरह निश्चिंत नहीं हो पा रहे हैं। विकल्प के रूप में बनाए हैं 'टंग घर'।

एक के बाद एक गांवों से होकर गुजरे हैं उच्च क्षमता की बिजली की तारें। जिन खंभों पर वे लगी हुई हैं, उन्हीं के ऊपर ग्रामीणों ने टंग घर बनाए हैं। मजबूरी में जीवन का जोखिम उठाकर ही उन्हें यह योजना बनानी पड़ी है। वहीं बारी-बारी से लोग रह रहे हैं, ताकि हाथी पके धान न खा जाए। हाई टेंशन की तार होने से किसी भी समय दुर्घटना होने की आशंका रहती है जिसमें जान जाने का भी खतरा होता है। फिर भी टंग घर में बैठना पड़ रहा है, ताकि ऊंचाई से गांव की ओर आता हाथी समय रहते दिखाई दे सकें।

ग्रामीणों का आरोप है कि वनकर्मियों को खबर देने पर भी फायदा नहीं होता है। उनका दावा है कि कभी वन विभाग का बहाना होता है कि गाड़ी में तेल नहीं है। कभी कहा जाता है, वनकर्मी कहीं और व्यस्त हैं। खुनिया इलाके में रहने वाले जेठा विश्वकर्मा कहते हैं कि शाम होते ही खेत में हाथी आ जाते हैं। इसलिए हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। हाथियों को खुद ही भगाना पड़ता है। अगर हाथी फसल खा लेंगे तो हमारा कैसे चलेगा? इस कारण बिजली के खंभे पर चढ़कर बैठना पड़ रहा है। हम जान हथेली पर रखकर अपनी खेतों को पहरा देते हैं।

पर्यावरणप्रेमी नफसर अली का कहना है कि हाथी और इंसान के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। लोग जीवन का जोखिम उठाकर फसल बचाने जाते हैं और कई बार जान गंवा देते हैं। हालत यह है कि बिजली के खंभे पर घर बनाना पड़ रहा है। इस दिशा में वन विभाग को सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है।

खुनिया के रेंजर सजलकुमार दे ने इस बारे में कहा कि हाथी भगाने के लिए हमारे पास पर्याप्त वनकर्मी हैं। लेकिन कभी-कभी यांत्रिक समस्या के कारण या कर्मियों की अन्य जिम्मेदारी होने से तुरंत सभी इलाकों में पहुंचना संभव नहीं हो पाता। लेकिन खबर मिलते ही वनकर्मी उन इलाके में जाते हैं। बिजली टावर पर टंग घर बनाने की बात मुझे पता नहीं है। पता लगाकर देख रहा हूं।

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