तृणमूल कांग्रेस में हुई कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी की 'घर वापसी'। आधिकारिक रूप से पार्टी में उन्होंने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत कर दी है। पिछले कुछ दिनों से उनकी घर वापसी के कयास लगाए जा ही रहे थे। खासतौर पर जब से कलकत्ता डेवलपमेंट अथॉरिटी (NKDA) के चेयरमैन के पद पर जब उन्हें बैठाया गया, तभी चर्चाएं होने लगी थी कि जल्द ही वह पूरी तरह से पार्टी में वापस लौट सकते हैं।
इस बात को सच साबित करते हुए 3 नवंबर को शोभन चटर्जी ने अपनी महिला मित्र वैशाखी बनर्जी के साथ तृणमूल में घर वापसी की। पार्टी में उनका स्वागत सुब्रत बख्शी और अरुप विश्वास ने किया।
इस मौके पर शोभन चटर्जी ने कहा कि मुझे जो जिम्मेदारी दी जाएगी, मैं उसे निभाऊंगा। कुछ दिनों पहले NKDA की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। वहां मैं काम कर रहा हूं। मैं अपनी कोशिशों में कहीं कोई कमी नहीं रहने दूंगा। इस सुन्दर से घर को भविष्य में मैं अपनी पूरी ताकत से और भी शक्तिशाली बनाऊंगा। बताया जाता है कि तृणमूल भवन में पार्टी की दोबारा सदस्यता ग्रहण करने के बाद शोभन-वैशाखी सांसद अभिषेक बनर्जी से मिलने के लिए कालीघाट चले गए।
बता दें, साल 2017 के बाद से शोभन चटर्जी की तृणमूल से दूरियां बढ़ने लगी थी। पहले उन्होंने कोलकाता के मेयर का पद छोड़ा फिर मंत्रीपद भी छोड़ दिया। विधानसभा में स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन, विधानसभा के मत्स्य और प्राणीसंपदा विकास विभाग की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन का पद भी उन्होंने छोड़ दिया था। इसके बाद एक समय उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी। 14 अगस्त 2019 को महिला मित्र वैशाखी बनर्जी को लेकर दिल्ली गए और वहां मुकूल राय की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वैशाखी बनर्जी के साथ बढ़ती उनकी करीबियों, उनकी पत्नी के साथ रिश्तों में आयी खटास को पार्टी के कई सदस्य स्वीकार नहीं कर पाए थे। इस वजह से ही तृणमूल के साथ ही उनकी दूरी बढ़ने की शुरुआत हुई थी। मुकूल राय ने उस दिन अपने बयान में कहा था कि शोभन के पार्टी में शामिल होने की वजह से बंगाल में भाजपा और भी शक्तिशाली होगी। हालांकि बंगाल भाजपा में उनकी सक्रियता बिल्कुल नहीं दिखी है।
दूसरी ओर भाजपा में ही वह अलग-थलग ही पड़ने लगे थे। भाजपा के किसी भी कार्यक्रम में शोभन-वैशाखी नजर नहीं आते थे। यहां तक जब अमित शाह कोलकाता आते थे, तब भी उस कार्यक्रम में शोभन-वैशाखी को नहीं बुलाया जाता था। जब CAA के समर्थन में जेपी नड्डा ने कोलकाता में रैली की थी, तब भी वहां शोभन-वैशाखी भी नजर नहीं आए थे। साल 2021 के चुनाव में भाजपा से उन्हें टिकट भी नहीं दिया गया था। इसके बाद ही भाजपा के साथ उनके रिश्ते टूटने लगे।
पिछले लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बावजूद शोभन चटर्जी ने यह कभी जोर देकर नहीं कहा कि वह तृणमूल में वापस नहीं लौटना चाहते हैं। साल 2022 में एक प्रकार से सबको चौंकाते हुए भाईदूज के दिन वह वैशाखी बनर्जी को लेकर कालीघाट में तृणमूल सुप्रीमो के घर पर पहुंच गए थे। बताया गया था कि पिछले 3 सालों में एक बार भी मिस नहीं हुआ है। हाल ही में शोभन चटर्जी और वैशाखी बनर्जी उत्तर बंगाल में घूमने गए थे। उसी समय आपदाग्रस्त उत्तर बंगाल के दौरे पर पहुंची मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी उन्होंने अकेले में मुलाकात की थी।