चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करने की तारीख फिलहाल टाल दी है क्योंकि आयोग चाहता है कि मतदाता सूची पूरी तरह सही हो और सभी जानकारी की ठीक से स्क्रीनिंग की जाए। इसी कारण राज्य में तैनात पर्यवेक्षक तुरंत काम में लग गए हैं।
सोमवार शाम 6 बजे तक मिले आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में 21 लाख 45 हजार मृत मतदाता पाए गए हैं और कुल 43 लाख नामों में मैपिंग से जुड़ी गड़बड़ी सामने आई है। 29 नवंबर को यह संख्या 35 लाख थी जो दो दिनों में बढ़कर 43 लाख हो गई। इन 43 लाख फॉर्मों में जिन मतदाताओं के नामों में समस्या मिली है, उनमें मृत मतदाताओं की संख्या 21,45,000 है, जबकि अनुपस्थित मतदाता 5,53,000, स्थानांतरित यानी दूसरे इलाके में चले गए मतदाता 15,13,000 और फर्जी या डुप्लिकेट मतदाता 98,600 हैं।
आयोग ने विधानसभा क्षेत्रवार डाटा भी जारी किया है, जिसके अनुसार सबसे कम डिजिटाइजेशन उत्तर कोलकाता में हुआ है 70.62% और वहीं Uncollectable Form की संख्या 19.12% है। सबसे ज्यादा दक्षिण कोलकाता में Uncollectable Form पाए गए हैं 19.38%, जबकि डिजिटाइजेशन 73.19% है। सबसे ज्यादा डिजिटाइजेशन उत्तर 24 परगना में हुआ 88.25% और यहां Uncollectable Form मात्र 7% है। बसीरहाट उत्तर में सबसे अधिक 96.05% डिजिटाइजेशन हुआ है और Uncollectable Form सबसे कम 3.7% हैं। सबसे कम डिजिटाइजेशन भाटपाड़ा में 74.09%, और सबसे ज्यादा Uncollectable Form बैरकपुर में 15.62% दर्ज किए गए हैं।
इसी बीच सोमवार को चुनाव आयोग के तीन वरिष्ठ अधिकारी-बी.सी. पात्र, सौम्यजीत घोष और विभोर अग्रवाल कोलकाता पहुंचे। आयोग ने 26 नवंबर को अधिसूचना जारी कर बताया था कि ये तीनों अधिकारी SIR से जुड़े काम की जांच करने के लिए बंगाल आ रहे हैं। इन अधिकारियों की टीम अब प्रतिदिन SIR से संबंधित रिपोर्ट राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी और दिल्ली स्थित चुनाव आयोग मुख्यालय को भेजेगी।