पहले SEBI और अब कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG)। रोजवैली मामले की जांच कर रही कमेटी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करने की जिम्मेदारी लेने से एक और केंद्रीय संस्थान ने इनकार कर दिया है। लगातार कुछ सप्ताहों तक अपनी स्थिति के बारे में बताने और बहाने से अतिरिक्त समय लेने के बाद आखिरकार मंगलवार को CAG ने कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court)को लिखित रूप से यह बता दिया कि फॉरेंसिक ऑडिट करने में वे असमर्थ हैं।
अब अदालत राज्य के वित्त विभाग को ही इसकी जिम्मेदारी सौंपना चाहता है। न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने इस बारे में राज्य के वित्त विभाग को जिम्मेदारी सौंपने की बात कही है। दो सेंट्रल एजेंसियों के ऑडिट में देरी का जिक्र करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस बार कोर्ट यह जिम्मेदारी राज्य के वित्त विभाग को देना चाहता है। रिटायर्ड न्यायाधीश दिलीप सेठ कमेटी के अकाउंट्स ही नहीं, बल्कि ED ने जो 2-3 हजार करोड़ की संपत्ति (कमेटी के हिसाब के अनुसार) जब्त की है, वित्त विभाग उस संपत्ति का भी ऑडिट करेगा।
मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। राज्य चाहे तो उस दिन कुछ कह सकता है। उसके बाद हाई कोर्ट आखिरी समय सीमा बांधकर आदेश देगा।
गौरतलब है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस दिलीप सेठ की अगुवाई में एक कमेटी बनाई थी ताकि उन लोगों का रुपया वापस किया जा सके जिन्हें गैर-कानूनी निवेश कंपनी रोज वैली में जमा करके ठगा गया था। उस कमेटी पर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे थे। कोर्ट SEBI को फॉरेंसिक ऑडिट की जिम्मेदारी देना चाहता था। SEBI का कहना था कि उनके पास सही इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल्ड लोग नहीं हैं। इसलिए वे यह जिम्मेदारी नहीं ले पाएंगे।
इसके बाद न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज और न्यायाधीश उदय कुमार की खंडपीठ ने भारत के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) को यह जिम्मेदारी संभालने को कहा। केंद्र से कहा गया कि वह 7 नवंबर को हाई कोर्ट को बताए कि CAG यह काम कर सकता है या नहीं। उन्होंने कहा है कि वे तैयार नहीं हैं। इस बार हाई कोर्ट राज्य के वित्त विभाग के बारे में सोच रहा है।