लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय छठपूजा 25 अक्टूबर से नहाय-खाय से शुरु होने जा रहा है। तैयारी अंतिम चरण में है। प्रशासन, नागरिकों और समाज सेवी संस्थाओं की मदद से गंगाघाटों और गली-मोहल्लों की सफाई की जा रही है और रोशनियों से जगमगाया जा रहा है लेकिन दीपावली से पहले से ही गली-गली, गांव-गांव और शहर-शहर में छठ मईया के गीत गूंजने लगे हैं। दीपावली खत्म होते ही छठपूजा की तैयारी में प्रशासन, नागरिक और समाज सेवी संस्थाएं जुट गयी हैं।
छठ पर्व भले ही बिहार का मुख्य पर्व है लेकिन बंगाल में इसका असर बड़े स्तर पर दिखाई पड़ता है। 'कांच ही बांस के बहंगिया’, 'पटना के घाट पर’, 'पहिले पहिल छठी मईया' वगैरह-वगैरह लोकप्रिय गीत सुनाई पड़ रहे हैं। गूंज रहे छठ मईया के गीतों से भक्तिमय माहौल तो बन ही रहा है, साथ-साथ आस्था भी बढ़ती जा रही है और उत्साह भी बढ़ रहा है। 25 अक्टूबर(शनिवार) से छठपर्व शुरु हो रहा है और समाप्ति 28 अक्टूबर(मंगलवार) को है। प्रथम दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना व पूजा, तृतीय दिन संध्या अर्घ्य और चौथे व अंतिम दिन उषा अर्घ्य दिया जायेगा।
इस पर्व में छठ मईया और सूर्य देव की अराधना की जाती है। इस पर्व में खासतौर पर गीतों की धूम रहती है। या यूं कह सकते हैं कि गीतों के बिना छठपूजा अधूरा है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार से शुरु हुआ जो आज पूरा देशभऱ में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाने लगा है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत हावड़ा, हुगली, उत्तर 24 परगना समेत राज्य के विभिन्न जिलों व शहरों में इस पर्व का व्यापक असर देखने को मिलता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस पर्व पर सरकारी छुट्टी घोषित कर चुकी हैं और खुद भी पर्व में शामिल हो जाती हैं।
सरकारी स्तर और नगर निगम व पालिका स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है। समाज सेवी संस्थाओं की भी बड़ी भूमिका रहती है। छठ पूजा भारत का एक ऐसा पर्व है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है। अब तो यह पर्व एक संस्कृति बन गयी है। यह पर्व ऋग्वेद में वर्णित सूर्यपूजन व उषा पूजन तथा आर्य परम्परा के अनुसार मनाया जाता है।
25 अक्टूबरः नहाय-खाय
26 अक्टूबरः खरना
27 अक्टूबरः संध्या अर्घ्य
28 अक्टूबरः उषा अर्घ्य