कोलकाताः दिसंबर शुरू हो गया है लेकिन दक्षिण बंगाल में अब तक ठंड महसूस नहीं हो रही। बंगाल की खाड़ी में जमा भारी मात्रा में जलवाष्प की मोटा परत शीतल हवा और बंगाल के बीच दीवार बनकर खड़ी है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर का पहला सप्ताह खत्म होने तक यह परत हटने का कोई संकेत नहीं है। इसलिए ‘कड़ाके की ठंड’ का एहसास पाने के लिए बंगाल को अभी कम से कम एक सप्ताह और इंतज़ार करना पड़ेगा।
उधर उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में लगातार ठंडी व सूखी हवाएं प्रवेश कर रही हैं जिससे उन राज्यों में तापमान तेज़ी से गिर रहा है। रविवार पंजाब के फरीदकोट में शनिवार देर रात में तापमान गिरकर 2°C तक पहुंच गया। मौसम विभाग का कहना है कि उस दिन समतल इलाकों में फरीदकोट देश का सबसे ठंडा स्थान था। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में शीतलहर की चेतावनी जारी है।
लेकिन उत्तरी भारत में इतनी कड़ाके की ठंड पड़ने के बावजूद चक्रवात ‘दितवाह’ के कारण बंगाल तक उसकी ठंडक नहीं पहुंच पा रही है। दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में बने इस चक्रवात ने पहले श्रीलंका में लैंडफॉल किया उसके बाद फिर समुद्र में लौटकर और मजबूत हुआ। इसके तमिलनाडु–आंध्रप्रदेश सीमा के पास दोबारा लैंडफॉल की संभावना है। मौसम वैज्ञानिक मानते हैं कि लैंडफॉल के बाद भी इसका असर तुरंत खत्म नहीं होगा।
लैंडफॉल के बाद भी उस क्षेत्र में भारी मात्रा में जलवाष्प जमा रहेगा। जब तक यह परत हवा में टिकी रहेगी तब तक उत्तर-पश्चिम भारत की ठंडी हवा पूर्वी तट तक नहीं पहुंच पाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि 5 से 7 दिसंबर के बाद यह जलवाष्प धीरे-धीरे कम होगा और तभी दक्षिण बंगाल में ‘वास्तविक सर्दी’ महसूस होने लगेगी।
मौसम विशेषज्ञ रवींद्र गोयंका के अनुसार इस समय कोलकाता और दक्षिण बंगाल में ‘छद्म सर्दी’ चल रही है। यानी रात का तापमान सामान्य या उससे थोड़ा ऊपर रहता है जबकि दिन का तापमान थोड़ा कम होता है। बंगाल की खाड़ी की स्थिति स्थिर होने के बाद ही रात का तापमान धीरे-धीरे घटेगा लेकिन इसके लिए दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक इंतज़ार करना पड़ेगा।