सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन और भारतीय भाषा परिषद के तत्वावधान में आयोजित 31वें हिंदी मेला का उदघाटन हुआ। इस अवसर पर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका के नवंबर 2025- जनवरी 2026 अंक का लोकार्पण हुआ। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ आलोचक विजय बहादुर सिंह ने कहा कि साहित्य ही सत्य की रक्षा करता है। मनुष्यता को बचाने के लिए सत्य की रक्षा करना बहुत जरूरी है।
हिंदी मेला जैसा बृहद आयोजन देश की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक घटना है। हिंदी मेला अपनी मातृभाषा से प्रेम का संदेश है। उदघाटन सत्र में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से जुड़े वरिष्ठ रंगकर्मी और टीवी कलाकार अमिताभ श्रीवास्तव को ‘माधव शुक्ल नाट्य सम्मान’ प्रदान किया गया। माधव शुक्ल ने लगभग सौ साल पहले कोलकाता में हिंदी नाटक की शुरुआत की थी। अमिताभ श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कोलकाता में युवा कलाकार ही हिंदी रंगमंच में प्राण फूंक सकते हैं।
भारतीय भाषा परिषद की मंत्री प्रो.राजश्री शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि 31वां हिंदी मेला एक बड़े सांस्कृतिक अभियान के निरंतरता का चिह्न है। कई पीढ़ियों ने अपनी मेहनत से इसे उत्तरोत्तर उत्कर्ष प्रदान किया है। 31 सालों की लम्बी यात्रा में एक समय जो प्रतिभागी होते थे आज उनके हाथों में मेले की बागडोर है।
मैं सात दिवसीय मेले की सफलता की कामना करती हूं। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संरक्षक रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि हिंदी मेला निरंतर चलता रहेगा क्योंकि इस सांस्कृतिक अभियान से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का साहित्यिक संस्कार होता है।
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के अध्यक्ष डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि हिन्दी मेला केवल हिन्दी ही नहीं सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति की आवाज है। यह डिजिटल मीडिया और लिट फेस्ट के जमाने में मनुष्यता और रचनात्मकता को बचाने का अभियान है। वरिष्ठ पत्रकार विश्वंभर नेवर ने कहा कि मैं सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित हिंदी मेला की इस 31 सालों की गौरवशाली यात्रा का साक्षी हूँ और इसकी सफलता की कामना करता हूं।
आरम्भ में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए डॉ. राजेश मिश्र ने कहा कि हिन्दी मेला सबको जोड़ने के लिए है। संयुक्त महासचिव डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि लघु नाटक प्रतियोगिता में 16 शिक्षण संस्थाओं और नाट्य दलों के नाटकों का मंचन हुआ। हमारा हिंदी मेला सांस्कृतिक प्रदूषण के विरुद्ध युवाओं का एक सांस्कृतिक अभियान है जो जारी रहेगा।
इस अवसर पर आयोजित लघु नाटक प्रतियोगिता में ऋषि बंकिम चंद्र संध्या महाविद्यालय, नाट्य मंच, विद्यासागर विश्वविद्यालय, विद्यासागर कॉलेज फॉर वूमेन, ऋषि बंकिम चन्द्र कॉलेज फॉर वूमेन, मेदिनीपुर कॉलेज, बेथुन कॉलेज, नैहाटी आनंदस्वरूप हाई स्कूल, स्वतंत्र दल, हाजीनगर आदर्श हिंदी विद्यालय, आदर्श हिंदी नाट्य मंच, देशबंधु महाविद्यालय, स्टडी मिशन, स्वतंत्र प्रतिभागी, असेंबली ऑफ़ लिटिल बर्ड्स और आदित्य अकादमी नाट्य दलों द्वारा नाटकों का मंचन हुआ। इसमें बतौर निर्णायक महेश जायसवाल, सुशील कांति और प्लबन बसु मौजूद थे। आरम्भ में ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम का सफल संचालन लिली साह, पुष्पा मल्ल और श्रद्धा उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संजय यादव, हंस राज, प्रमोद कुमार, अजय पोद्दार, ज्योति चौरसिया, कंचन भगत, स्वीटी कुमारी महतो, अनुराधा भगत, चंदन भगत, कुसुम भगत, फरहान अजीज, अनूप प्रसाद सहित अन्य सदस्यों की अहम भूमिका रही।