SIR में एक योग्य मतदाता का नाम न छूटे, यह मांग उठाते हुए मंगलवार को सड़क पर उतर रहे हैं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी।
मतदाता सूची के गहन संशोधन के माहौल में राज्य में लगातार हो रही मौतों की घटनाओं को तृणमूल इसे बड़े मुद्दे के रुप में देख रही है। कालीघाट में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अभिषेक ने इस बार SIR को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी की कड़ी आलोचना की।
हाल ही में एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में अमित शाह को कहते सुना गया, ‘भारत धर्मशाला नहीं है। केवल इस देश में जन्म लेने वाले ही वोट देने का अधिकार पाएँगे।’ शाह की इस टिप्पणी पर तृणमूल ने कड़ी आपत्ति जताई। अभिषेक ने उस दिन कहा, ‘अगर इस देश में जन्म नहीं लेने पर वोट नहीं दिया जा सकता, तो लालकृष्ण आडवाणी वोट नहीं दे सकते। लालकृष्ण आडवाणी का जन्म कहाँ हुआ था? उनकी तर्क को मानते हैं, तो शांतनु ठाकुर का वोट देने का अधिकार नहीं है। जितने मुतुआ भाई-बहन हैं, उनका वोट देने का अधिकार नहीं है। यह मैं नहीं कह रहा, गृह मंत्री अमित शाह कह रहे हैं।’ उल्लेखनीय है, लालकृष्ण आडवाणी का जन्म ब्रिटिश शासित कराची में हुआ था।
SIR के लिए 2002 के वोटर लिस्ट को 'बेंचमार्क' के रूप में लिया गया है। इसी विषय को लेकर इस दिन अभिषेक ने कई सवाल उठाए। हाल ही में बीरभूम के मुराराई के निवासी सोनाली खातून सहित छह लोगों को असम की सीमा से Bangladesh में 'पुश बैक' किया गया था। वर्तमान में वे सभी Bangladesh के चंपाइनबाबगंज जिले के सुधार गृह में हैं। हाईकोर्ट ने उन्हें देश लौटाने का आदेश दिया है। अभिषेक का दावा है कि सोनाली-स्विटी खातून और बाकी चार लोगों के परिवार के नाम 2002 के वोटर लिस्ट में हैं। तो फिर उन्हें Bangladesh में 'पुश बैक' क्यों किया गया ? यह सवाल उन्होंने उठाया।
अभिषेक दक्षिण 24 परगना के कुलपी के विषय को भी कहा। चुनाव आयोग ने 2002 की सूची प्रकाशित करने के बाद देखा गया कि कुल्पी विधान सभा क्षेत्र की कोई सूची नहीं है। अभिषेक ने कहा कि आप कैसे चुनाव कराने की बात करते हैं, जब आयोग खुद ही असमर्थ है। वहां 2002 का बेंचमार्क कैसे बनता है ? इसका जवाब कौन देगा ?'