इस उपाय से कम हुआ बच्चों में मोबाइल फोन का नशा

By देवार्घ्य भट्टाचार्य, Posted by: लखन भारती.

Nov 16, 2025 16:36 IST

उलुबेड़िया के बर्मराजपुर प्राथमिक विद्यालय की अद्भुत पहल से अभिभावक खुश

घंटों-घंटों मोबाइल में मग्न बच्चे। पढ़ाई में रुची नहीं। माता-पिता की डांट-फटकार का भी कोई असर नहीं। सारा दिन बच्चे मोबाइल में ही खोए रहते हैं। मोबाइल न मिलने पर रोना-चीखना। बच्चों के इस मोबाइल के आदीपन से निजात दिलाने के लिए उलुबेड़िया के बर्मराजपुर प्राथमिक विद्यालय ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की है। इस पहल के परिणामस्वरूप बच्चों में मोबाइल की लत कम हो रही है। अब वे पढ़ाई पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। स्कूल के इस पहल से अभिभावक खुश हैं और कहा है कि अन्य स्कूलों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

लेकिन यह कैसे संभव हुआ ?

इस संदर्भ में बर्मंराजपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजदूत सामंत ने कहा, 'स्कूल में बच्चों को पढ़ाई सिखाने के दौरान हम उनके रुची की कमी महसूस करते हैं। बच्चों से बात करके यह समझ में आया कि हर बच्चा मोबाइल पर निर्भर है। इसलिए सबसे पहले हम उन्हें मोबाइल देखने की आदत छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। पूजा से पहले अभिभावकों के साथ बैठक की गयी थी। मोबाइल की लत कम करने के लिए हर अभिभावक को एक प्रिंटेड कार्ड दिया जाता है। अभिभावकों को मोबाइल फोन की लत और इसके नुकसान के बारे में समझाया जाता है। माता-पिता भी बच्चों को मोबाइल बंद करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।

उन्हें कहा गया है, आप इस कार्ड पर हर दिन अपने बच्चे द्वारा मोबाइल देखने का समय लिखें। एक महीने बाद यह कार्ड स्कूल में जमा कर दें।' राजदूत सामंत ने बताया कि मोबाइल देखने के मामले में उन पर निगरानी है, यह बच्चों को पता चल गया है। इतना ही नहीं, स्कूल के शिक्षक और दीदीमणियाँ भी जान रहे हैं कि वे मोबाइल झाँक रहे हैं। इसके कारण बच्चे शर्म और डर से फोन देखने की आदत कम कर रहे हैं। इस पहल में छात्र-छात्राएं खुद ही फोन से दूरी बना रहे हैं और नियमों का पालन करते हुए पढ़ाई कर रहे हैं।

कक्षा एक के छात्र सायंतक मंडल कहते हैं, 'सर ने मुझे फोन न देखने के लिए एक कार्ड दिया है। अगर कभी फोन देखता हूँ, तो माँ उस कार्ड में लिख देती है कि मैंने कितना समय फोन देखा। माँ स्कूल को फोन देखने की बात बता देती हैं। इसलिए मैं अब फोन नहीं देखता।' स्कूल की इस पहल की सराहना करते हुए एक अभिभावक कहते हैं, 'पहले मोबाइल देखने को लेकर बहुत डांट-फटकार हुई, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। मास्टरजी द्वारा दिए गए इस कार्ड के डर से मेरे बेटे द्वारा मोबाइल देखने की आदत बहुत कम हो गई है।'

चतुर्थ कक्षा की रश्मि खातून कहती हैं, 'अगर हम अच्छा काम करेंगे तो सर हमें प्यार करेंगे और इनाम देंगे लेकिन जैसे ही हम फोन देखेंगे, खबर सर तक पहुँच जाएगी। तब सर हमें प्यार नहीं करेंगे और न ही इनाम देंगे। इसलिए हम फोन नहीं देखते।' प्रधान शिक्षक कहते हैं, 'छात्रों की मोबाइल की लत कम करने के लिए हमने यह कार्ड व्यवस्था की है। इससे छात्रों का आत्म-नियंत्रण और जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी और उम्मीद है कि वे मोबाइल छोड़कर खेल और किताबों की ओर ध्यान देंगे।'

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