एक ओर कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल के सभी जिलों में दशहरा उत्सव के साथ ही मां दुर्गा के विसर्जन की तैयारियां की जा रही है। भारी मन से लोग घर बेटी 'मां दुर्गा' को उनके ससुराल कैलाश पर्वत पर वापस भेजने की तैयारियां कर रहे हैं। लेकिन इस बीच राज्य का एक जिला ऐसा भी है, जहां मां को उनके दूसरे स्वरूप में स्वागत करने की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं। यह है कोलकाता का पड़ोसी जिला हुगली।
हुगली के चंदननगर में मां जगद्धात्री के आगमन के दिनों की गिनती शुरू हो चुकी है। नियमानुसार विजयादशमी या दशहरा के दिन ही चंदननगर में जगद्धात्री पूजा के ढांचा की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन पुरोहित विधि-विधान के साथ ढांचा की पूरा करते हैं, जिसके बाद मां जगद्धात्री की मूर्तियां बनाने का काम शुरू किया जाता है। दुर्गा पूजा के 1 माह बाद जगद्धात्री पूजा होती है, जिसकी तैयारियां दुर्गा पूजा की दशमी से ही शुरू हो जाती हैं।
चंदननगर उत्तरांचल बिबीरहाट जगद्धात्री पूजा कमेटी की पूजा का इस साल 59वें वर्ष में आयोजन होने जा रहा है। गुरुवार को एक तरफ यहां मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन की तैयारियां चल रही थी। ठीक उसी समय जगद्धात्री पूजा की तैयारी भी शुरू हो गई। इसी दिन बड़ाबाजार सार्वजनिक जगद्धात्री पूजा की खुंटी पूजा भी आयोजित हुई। इस बार उनकी पूजा 63 सालों का सफर पूरा करने जा रही है।
उत्तरांचल पूजा कमेटी के अध्यक्ष सूर्यकांत दास ने कहा कि दशमी के दिन जब पूरे बंगाल का मन उदास होता है, तब चंदननगर में अलग तस्वीर नजर आती है। दरअसल, यहां उमा फिर से जगद्धात्री रूप में जो वापस आ रही होती हैं। यह खुशी को शब्दों में प्रकट नहीं किया जा सकता है।
लक्ष्मी पूजा, काली पूजा (दीवाली), छठ पूजा के बाद ही होती है जगद्धात्री पूजा। हाथ में अब एक महीने से भी कम का समय बचा हुआ है। इस बीच ही कई जगहों पर पंडाल बनाने का काम भी शुरू हो चुका है।